खेमराज शर्मा : शिमला
प्रदेश के सभी जलाशयों में मछली आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसे में अब सरकार साल 2022-23 से मत्स्य विभाग द्वारा प्रदेश में मछली आयात के परमिट केवल पंजीकृत ठेकेदारों को ही दिए जाएंगे। प्रदेशभर में करीब 10 हजार परिवार इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। ऐसे में इन सभी के हितों को ध्यान में रखते हुए प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया है। मत्सय पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि प्रदेश के लगभग 10 हजार परिवार मात्स्यिकी व्यवसाय से जुड़े हैं। प्रदेश के ठंडे पानी, नदीय क्षेत्रों, तालाबों व जलाशयों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में मत्स्य पालन हो रहा हैं। हिमाचल प्रदेश के मुख्य जलाशय महाराणा प्रताप पौंग डैम व गोबिंंद सागर जलाशय से लगभग 5500 परिवार मछली पकडऩे के व्यवसाय से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। वर्तमान में प्रदेश के विभिन्न जिलों से मछली आयात के परमिट के लिए आवेदन विभाग के पास पहुंचते हैं।
विभाग आवेदनकर्ताओं की मांग अनुसार मछली आयात का परमिट उस वित्तीय वर्ष के लिए उनके पक्ष में जारी करता है। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश के मछुआरों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है तथा मत्स्य विभाग का राजस्व भी प्रभावित हो रहा है, क्योंकि परमिट प्राप्त होने पर लोग बाहरी राज्यों से कोल्ड स्टोर में रखी गई पुरानी मछली लाकर कम दामों पर बेच रहे हैं। इस प्रकार की पुरानी मछली की गुणवत्ता ताजा मछली की अपेक्षा बहुत कम होती है, क्योंकि प्रदेश के जलाशयों से जो मछली पकड़ी जाती है। वह ताजा व पौष्टिक होती है।
बाजार में नहीं मिल रहे अच्छे दाम
प्रदेश के जलाशयों में मछली की अच्छी प्रजातियां उपलब्ध होने के बावजूद मछली के अच्छे दाम बाजार में नहीं मिल रहे। जिसका मुख्य कारण प्रदेश में अधिक मात्रा में नियमित रूप से मछली का आयात किया जाना है। इससे आजीविका को केवल मछली पालन पर ही निर्भर प्रदेश के 5500 से अधिक मछुआरों की रोजी-रोटी पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है।
परमिट लेने वाले नियमों को बनाया जाएगा सख्त
मत्सय पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि प्रदेश में मछली व्यवसाय से जुड़े सभी व्यापारियों, पंजीकृत ठेकेदारों तथा मछुआरों व मत्स्य सहकारी सभाओं के हितों के दृष्टिगत मछली आयात पर आंशिक प्रतिबंध संबंधी यह निर्णय लिया गया है तथा भविष्य में इसका अनुकूल प्रभाव देखने को मिलेगा। इसके अतिरिक्त मत्स्य विभाग से मछली आयात का परमिट लेने के सभी नियमों को भी सख्त बनाया जाएगा।