- 12 करोड़ का पहला ऋण एनपीए होने पर दूसरी बार फिर दिए 29 करोड़
- सीएम जयराम से लेकर पीएम तक भेज चुके शिकायतें, अब तक नहीं हो पाया एक्शन
जीवन ऋषि : धर्मशाला
अठारह लाख ग्राहकों और पंद्रह सौ कर्मचारियों वाले कांगड़ा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक प्रबंधन पर कर्ज बांटने को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। बैंक के एजीएम केसी भारद्वाज ने गंभीर सवाल उठाकर प्रबंधन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। रिकॉर्ड शेयर करते हुए एजीएम केसी भारद्वाज ने आरोप लगाया कि बैंक प्रबंधन ने नियमों को ताक पर रखकर मंडी के एक कारोबारी को ऊना की एक ब्रांच से 2 बार करोड़ों रुपये का कर्ज दिया है। मामले की गंभीरता यह है कि पहली बार उक्त कारोबारी का कर्ज एनपीए में चला गया था। इसके बावजूद दोबारा से उसे कर्ज दे दिया गया।
एजीएम केसी भारद्वाज का कहना है कि पहली बार इस कारोबारी को 12 करोड़ का कर्ज दिया गया। इसमें सिर्फ 4 करोड़ रुपये की वापसी हुई। मौजूदा समय में यह कर्ज 13 करोड़ 42 लाख रुपये हो गया है। एजीएम ने आरोप लगाया कि यह कर्ज एनपीए में होने के बावजूद इसी कारोबारी को करीब 29 करोड़ रुपये का कर्ज मंजूर कर दिया गया। इसमें 20 करोड़ रुपये भवन बनाने और 9 करोड़ रुपये जमीन खरीदने के लिए दिए गए। इस कर्ज में 2 करोड़ वापस आए हैं, जबकि अब इसका आंकड़ा 34 करोड़ हो गया है। खास बात यह कि दूसरे लोन के 20 करोड़ रुपये में से जमीनी स्तर पर सिर्फ 5 फीसदी यूज हुआ है।
ये है मार्केट वैल्यू
केसी भारद्वाज का आरोप है कि जो लोन अभी 34 करोड़ रुपये है, बैंक द्वारा उसकी मार्केट वैल्यू 15 करोड़ आंकी गई है। इसी तरह 12 करोड़ वाले ऋण की मार्केट वैल्यू 6 करोड़ आंकी गई है। सवाल वही है कि ऋण की वापसी कैसे होगी।
मैंने यह मामला उठाया तो मुझे ट्रांसफर करके लोन सेंक्शन कर दिया गया। मैं यह मसला सीएम के पास भी उठा चुका हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी शिकायत भेजी है। मुझे सच बोलने पर अब तंग किया जा रहा है।
-केसी भारद्वाज, एजीएम, केसीसी बैंक।ऋण संबंधी मामले में नोटिस भेजा गया है। नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है। कमिटी भी बनाई गई है। अभी मैं दफ्तर में नहीं हूं, वापस आने पर विस्तार से बात रखूंगा।
-राजीव भारद्वाज ,चेयरमैन, केसीसी बैंक।