नई दिल्ली:एक पोक्सो अदालत ने पूर्वी दिल्ली में 2013 में पांच वर्षीय बच्ची से सामूहिक बलात्कार के मामले में दो लोगों को शनिवार को दोषी ठहराते हुए कहा कि मामले ने समाज की सामूहिक चेतना को झकझोर दिया था।अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नरेश कुमार मल्होत्रा ने मनोज साह और प्रदीप कुमार को मामले में दोषी ठहराया और कहा कि महज पांच साल की बच्ची को काफी अनैतिकता एवं अति क्रूरता बर्दाश्त करनी पड़ी।
साह और कुमार ने 15 अप्रैल 2013 को गांधी नगर इलाके में लड़की से बलात्कार किया था और उसके निजी अंगों में वस्तुएं डाल दीं। अपराध करने के बाद दोषियों ने पीड़िता को मनोज के कमरे में मृत समझकर छोड़ दिया और वहां से फरार हो गए। बच्ची को 40 घंटे बाद 17 अप्रैल 2013 को बचाया गया। बच्चों का यौन अपराध से संरक्षण (पोक्सो) अदालत ने कहा, घटना ने समाज की सामूहिक चेतना को झकझोर डाला। हमारे समाज में छोटी बच्चियों की पूजा देवी की तरह होती है। बच्ची महज पांच साल की थी जिसे काफी अनैतिकता और अति क्रूरता का सामना करना पड़ा। पीड़िता के पिता ने अपनी बेटी को न्याय मिलने पर संतोष जताया।
उन्होंने कहा, हालांकि सुनवाई दो वर्षों में पूरी हो जानी चाहिए थी लेकिन हम खुश हैं कि छह वर्ष बाद, हमें न्याय मिल गया। अदालत ने सजा की अवधि पर जिरह की तारीख 30 जनवरी तय की। साह और कुमार को दिल्ली पुलिस ने 2013 में बिहार के क्रमश: मुजफ्फरपुर और दरभंगा जिलों से गिरफ्तार किया था। आरोपपत्र उसी वर्ष 24 मई को दायर किया गया था और अदालत ने 11 जुलाई को आरोप तय किए थे।पोक्सो अदालत में 57 गवाहों का बयान दर्ज करने में पांच वर्ष से ज्यादा का वक्त लग गया।