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किसी को ‘पाक’ मोहब्बत,तो किसी को नजर आ रही बेवफाई
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पार्टी-काडर दोनों उलझन में, उहापोह का माहौल
हिमाचल दस्तक, उदयबीर पठानिया: सुधीर शर्मा यकायक गायब क्या हुए, हर कलेजे में हूक उठी हुई है। कहीं सियासी मोहब्बत की हूक उठी हुई है तो कहीं आहों का गुब्बार उमड़ा हुआ है। सुधीर के प्रति किसी सीने में आह तो कहीं वाह की आवाजें निकल रही हैं। पर यह मोहब्बत कहीं पाक (पवित्र) टाइप है तो कहीं पाकिस्तान की तरह ही ‘पाक है। दरअसल, सुधीर शर्मा जिस तरह से अदृश्य हुए हैं, उसकी वजह से कांग्रेस में आफत आ गई है। मजबूरी का नाम सुधीर शर्मा बन गया है।
पंडित जी के अज्ञातवास की खबरों ने कांग्रेस को यहां तक मजबूर कर दिया है कि वह यह तय ही नहीं कर पा रही है कि वह उनको ढूंढने निकले या लापता की तलाश को शुरू ही न करे। शर्मा सुविधानुसार ही अपने-परायों से बात कर रहे हैं। अब कांग्रेस इस बात से खज्जल है कि सुधीर के साथ ‘सात साल के वोट के फेरों के वचनों को किस तरह से अपने साथ जोड़े ? अगर किसी तरह से ढूंढ कर उनको जनता के सामने लाया भी जाए तो क्या वह अपने वोट बैंक को विजय इंद्र कर्ण की झोली में डालेंगे ?
अगर आ भी गए तो क्या वह ईमानदारी से साथ देंगे ? पूरी कांग्रेस उलझन में है। मजे की बात यह है कि कांग्रेसी जमात का एक हिस्सा पुराने गीत, ‘जो चला गया उसे भूल जा,वो न सुन सकेगा तेरी सदा का जिक्र करते हुए यह भी कह रहे हैं कि कोई फायदा नहीं होने वाला है। शर्मा नहीं आएंगे, भले ही उनको कांग्रेस ने स्टार प्रचारकों की लिस्ट में रखा है। तर्क देते हुए यह लोग कह रहे हैं कि अगर चुनावी जंग में स्टार इतने ही सही होते तो किस्मत के सितारे गर्दिश में जाते ही क्यों ? जबकि एक धड़ा सुधीर की मौजूदगी को जंग में सिर-धड़ की बाजी मान रहा है।
इनका मानना है कि सुधीर के वोट बैंक को इग्नोर किया गया तो यह सुखद संकेत नहीं होगा। मिस्टर स्माइली के नाम से मशहूर सुधीर को यह कुनबा जीत की स्माइल के लिए जरूरी खिताब दे रहा है। इनकी दलील है कि सुधीर के साथ अपील की जाए कि वह खुद भले न आएं,मगर पंफलेट पर अपील तो जारी कर ही दें, अन्यथा, कहीं व्यथा ही हिस्से न आए और जीत की कथा लिखने से चूक न हो जाए।
हम यूज़ एंड थ्रो नहीं…
बागियों को सांझे दुख सता रहे हैं। इनको इस बात का रंज है कि हमेशा से इनको बड़े नेताओं ने अपनी-अपनी सहूलियत के हिसाब से यूज़ किया। जब टिकट देने की बारी आई तो इन नेताओं की वजह से इनके हाईकमान ने भी उन्हें छिटका दिया। अब देखना यह होगा कि यह नामांकन वापस लेते हैं या फिर गाड़ी को चुनाव तक खींच पाते हैं?