टेकचंद वर्मा : शिमला
हिमाचल प्रदेश में अढ़ाई महीने से चल रहा ड्राई स्पेल आखिरकार टूट गया है। प्रदेश में मंगलवार को जमकर बारिश हुई। प्रदेश में बीते सोमवार रात से ही बारिश हो रही है। जो क्रम मंगलवार को दिन भर जारी रहा। बारिश होने से उन किसानों व बागवानों ने राहत ली है। जिनकी फसलें सूखे की भेंट चढऩे लगी थीं। मंगलवार को दिन के समय प्रदेश के अधिकतर क्षेत्रों में झमाझम बारिश हुई है। बारिश के साथ-साथ पहाड़ों पर एक-दो स्थानों पर हल्की बर्फबारी भी रिकॉर्ड की गई है।
बारिश होने से जहां लोगों को प्रचंड गर्मी से राहत मिली है। वहीं मार्च माह से चल रहा ड्राई स्पैल भी टूटा है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक सुरेंद्र पाल ने कहा कि प्रदेश में मंगलवार को हुई बारिश के बाद चल रहा ड्राई स्पैल खत्म हो गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के अधिकतर क्षेत्रों में बारिश दर्ज की गई है। बारिश होने से खेतों व बगीचों में सूखा खत्म हो जाएगा। इसके अलावा बारिश से भूमिगत जल भी बढ़ेगा। वहीं प्राकृतिक जल स्रोत भी चार्ज होंगे।
प्री-मॉनसून की तैयारियों में जुटी सरकार
शिमला। प्रदेश सरकार प्री-मॉनसून की तैयारियों में जुट गई है। राज्य आपदा प्रबंधन 15 दिन के भीतर सभी जिलों के उपायुक्तों के साथ बैठक करेगा और जिलों में मॉनसून से निपटने के लिए तैयारियों की समीक्षा करेगा। 30 मई तक सभी जिलों को तैयारियां पूरी करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। हिमाचल में मंगलवार को प्री-मॉनसून की बौछारें हुर्इं। देर रात से ही बारिश का सिलसिला रहा।
ऐसे में अब सरकार और आपदा प्रबंधन भी सक्रिय हो गए हैं। प्रदेश में बारिश से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए सरकार पहले ही सभी जिलों को 30 मई तक पूरी तैयारियां करने के लिए कह चुकी है। प्री-मॉनसून शुरू होने से अब 31 मई को पीएम मोदी की शिमला में होने वाली रैली में भी बारिश के बादल छा गए हैं।
सेब सहित अन्य फसलों में बढ़ोतरी आने की उम्मीद
प्रदेश में बारिश कम होने से कई फसलें सूखे की भेंट चढ़ गई थीं। वहीं कई स्थानों पर नमी की कमी के कारण फसलों के साइज में कमी दिखी जा रही थी। मगर अब बारिश होने के बाद सेब सहित अन्य फसलों के साइज में बढ़ोतरी आने की उम्मीदें लगाई जा रही हैं।
प्रदेश में मार्च से चल रहा था ड्राई स्पैल
प्रदेश में मार्च माह से ड्राई स्पेल चल रहा है। बारिश न होने से राज्य के अधिकतर क्षेत्रों में फसलों पर सूखे का असर देखने का मिला है। सूखे के कारण करोड़ों की फसलें तबाह हो गई थीं। ड्राई स्पेल लंबा चलने से अब बागवानी पर खतरे के बादल मंडराने लगे थे, मगर इसी बीच बारिश होने से बागवानी पर मंडराने वाला खतरा टल गया है। बारिश न होने से प्रदेश के अधिकतर क्षेत्रों में पेयजल की किल्लत भी होने लगी थी।