शिमला:स्कॉलरशिप घोटाले में सीबीआई जांच से रोज नए नए खुलासे हो रहे हैं। नया कारनामा यह है कि छात्रवृत्ति हड़पने वालों ने डे-स्कॉलर्स छात्रों को हॉस्टलियर दर्शाया। प्रदेश में संचालित निजी विश्वविद्यालय और कुछ प्रोफेशनल संस्थानों ने डे-स्कॉलर्स को हॉस्टलियर दर्शाया है।
अभी ऐसे संस्थानों की जांच चल रही है। जांच में सामने आया है कि कुछ निजी संस्थानों ने संस्थान छोड़ चुके छात्रों को फर्जी तरीके से छात्र दिखाया और विषय बदल कर छात्रवृत्तियां हड़पी गईं। साथ ही उनके दस्तावेज फर्जी बनाकर छात्रवृत्ति की रकम डकार ली गई। हैरानी की बात है कि स्कॉलरशिप घोटाले के इस खेल के लिए हिमाचल के बाहर बैंकों में छात्रों के खाते खोले गए। ऐसे में अब आने वाले दिनों में सीबीआई 7 से 8 आरोपियों को गिरफ्तार कर सकती है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक बीते दिनों गिरफ्तार हुए तीनों आरोपी 14 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में चल रहे हैं। अगली पूछताछ के दौरान यही आरोपी कई बड़े घोटालेबाजों का खुलासा भी करेंगे। करोड़ों रुपये की इस स्कॉलरशिप को फर्जी बैंक खाता और फर्जी प्रवेश के माध्यम से हड़पने वाले कई निजी शिक्षण संस्थानों पर सीबीआई की पैनी नजर है। यही नहीं, बल्कि उच्च शिक्षा विभाग के पूर्व अधिकारियों सहित स्कॉलरशिप ब्रांच में सेवाएं दे रहे कर्मचारियों से भी पूछताछ होगी।
स्कॉलरशिप घोटाले मामले में निजी शिक्षण संस्थानों के साथ-साथ शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी और कर्मचारियों पर भी गाज गिर सकती है। सीबीआई जांच में सामने आया है कि शिक्षा विभाग में छात्रों के लिए तैयार किया गया ई-पास पोर्टल से भी छेडख़ानी की गई है। प्रदेश सरकार द्वारा पहली जांच रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है। इसे देखते हुए अब सीबीआई कभी भी उच्च शिक्षा विभाग के ऐसे अधिकारी और कर्मचारी जिन्होंने पोर्टल के साथ छेडख़ानी की, उनसे पूछताछ करेगी।
केवल चार बैंकों में ही खोले गए खाते
स्कॉलरशिप घोटाले के लिए सैकड़ों छात्रों के बैंक खाते चार अलग-अलग बैंकों में खोले। बीते चार साल में 2.38 लाख विद्यार्थियों में से 19 हजार 915 को चार मोबाइल फोन नंबर से जुड़े बैंक खातों में छात्रवृत्ति राशि जारी कर दी गई। इसी तरह 360 विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति चार ही बैंक खातों में ट्रांसफर की गई। 5729 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने में तो आधार नंबर का प्रयोग ही नहीं किया गया है। यही नहीं, बल्कि 80 फीसदी छात्रवृत्ति का बजट सिर्फ निजी संस्थानों में बांटा गया। जबकि सरकारी संस्थानों को छात्रवृत्ति के बजट का मात्र 20 फीसदी हिस्सा मिला।