आर. चौहान। टौणी देवी:
लाल हल्दी कई तरह की बीमारियों और शरीर के दर्द को दूर करने के लिए जानी जाती है, लेकिन अब काली हल्दी के औषधीय गुण भी लोगों को कई तरह की बीमारियों से बचाने में उपयोगी साबित होंगे। हमीरपुर के नेरी स्थित हर्बल गार्डन में काली हल्दी को उगाने का ट्रायल कामयाब रहा है।
लोग अब इसे अपने किचन गार्डन में भी उगा कर इसके औषधीय गुणों का फायदा उठा सकेंगे। प्रदेश में पहली बार तीन सालों की मशक्कत के बाद यह औषधीय प्लांट गार्डन में कामयाब हुआ है। नेरी हर्बल गार्डन में करीब तीन साल पहले प्रदेश के बाहर से ट्रायल के तौर पर काली हल्दी के प्लांट लाए गए थे। अब यह पौधे पूरी तरह से यहां कामयाब हो गए हैं। इसने सभी तरह के मौसम में सरवाइव कर लिया है। लाल हल्दी की तरह ही इसमें औषधीय तत्व पाए जाते हैं जो कई तरह की बीमारियों से लडऩे में भी फायदेमंद है। अभी तक प्रदेश में काली हल्दी नहीं उगाई जाती है। नेरी गार्डन के इंजार्च मदन पंवार का कहना है कि प्लांट ट्रायल कामयाब रहा है। जल्द ही बड़े स्तर पर इसे लोगों को लगाने के लिए दिया जाएगा।
मध्य प्रदेश से लाए थे पौधे
काली हल्दी पहली बार हिमाचल में हमीरपुर नेरी हर्बल गार्डन में उगाई गई है। इसके पौधे गार्डन के इंचार्ज कुछ साल पहले मध्यप्रदेश से लाए थे। अब लोग इसके यहां तैयार हो जाने के बाद लाल के साथ काली हल्दी को भी उगा कर इसका उपयोग औषधीय दवाई के रूप में घरेलू नुस्खों में भी कर पाएंगे। काली हल्दी की जड़ों को पीस कर इसका पाउडर काले रंग का तैयार होता है। जोकि बहुत ही लाभदायक है और रोगों के लिए औषधि से कम नहीं है।
बीमारियों से लडऩे में उपयोगी
काली हल्दी में काफी मात्रा में औषधीय तत्व पाए जाते हैं जो शरीर की कई तरह की बीमारियों से लडऩे में उपयोगी है। काली हल्दी का इस्तेमाल अस्थमा, कैंसर, बुखार, पिंपल्स, एलर्जी, माइग्रेन, लेप्रोसी जैसी बीमारियों के लिए तैयार होने वाली दवाइयों में होता है। इसके पत्तियों को सुखाकर पाउडर बनाया जाता है। जिसका इस्तेमाल शहद के साथ या दूध में मिलाकर रोजाना करके कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है। इसके पत्तों को चबाकर गैस्टिक से जुड़ी बीमारियों से भी निजात पाई जा सकती है।