शकील कुरैशी : शिमला
सालों से प्रस्तावित श्रीनयना देवी जी से आनंदपुर साहिब के लिए रोप-वे का काम आगे नहीं बढ़ रहा है। इसकी संभावनाएं भी अब कम होती दिख रही हैं क्योंकि पंजाब सरकार की ओर से रिस्पांस नहीं मिल रहा। ऐसे में अब राज्य सरकार ने इसके तकनीकी कार्यों का परीक्षण करने का जिम्मा इंफ्रास्ट्रक्चर डेवेलपमेंट बोर्ड यानी आईडीबी को सौंपा है। यह प्रदेश सरकार की कंसलटेंट एजेंसी है, जो तकनीकी तौर पर रोप-वे निर्माण पर अपनी रिपोर्ट देगी और इसको तैयार करने में मदद करेगी। रोप-वे निर्माण में निजी कंपनियों की उदासीनता के चलते सरकार ने बोर्ड को पर्यटन विकास के इस अहम प्रोजेक्ट को सौंपने का निर्णय लिया है।
रोप-वे के निर्माण से आनंदपुर साहिब व नयना देवी के मध्य 24.7 किमी सड़क मार्ग की दूरी रज्जू मार्ग से 3.5 किमी रह जाएगी। अलबत्ता अधोसंरचना विकास बोर्ड प्रदेश सरकार के इस अहम प्रोजेक्ट पर कब काम शुरू करेगा यह समय के अंतराल में छिपा है। श्री नयना देवी जी बिलासपुर जिले में प्रदेश का प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहां हर साल करीब 25 लाख सैलानी आते हैं। इनमें से अधिकांश धार्मिक पर्यटक पड़ोसी राज्य पंजाब से हैं। श्री नयनादेवी जी के नजदीक ही पंजाब का प्रमुख धार्मिक स्थल आनंदपुर साहिब है। प्रदेश में प्रकाश सिंह बादल व हिमाचल में प्रो. धूमल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के वक्त 2009 में इन दोनों धार्मिक स्थलों को रोप-वे से जोडऩे का फैसला लिया गया था। दोनों ही राज्य सरकारें इस पर सहमत थीं। 2012 में दोनों राज्य सरकारों के मध्य रोप-वे बनाने को लेकर एमओयू हुआ ।
2018 में दूसरी बार एमओयू
साल 2018 में प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने रोप-वे निर्माण में दिलचस्पी दिखाई। पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह भी रोप-वे निर्माण को राजी हो गए। लिहाजा दोबारा से दोनों राज्यों के मध्य एमओयू हुआ तथा रोप-वे निर्माण के लिए पंजाब व हिमाचल की संयुक्त कंपनी बनी। रोप-वे के निर्माण पर करीब 90 करोड़ की रकम खर्च होनी है।
निजी कंपनियों की दिलचस्पी नहीं
राज्य सरकार के प्रयासों के बावजूद रोप-वे निर्माण को निजी कंपनियों की कोई दिलचस्पी नहीं है। इसका पता इसी से चलता है कि 2020 व 2021 में प्रदेश सरकार ने रोप-वे निर्माण के लिए निविदाएं आमंत्रित कीं। निविदाओं के लिए आवेदन करने की तारीखों को कई मर्तबा आगे भी बढ़ाया गया। अब आईडीबी को इस काम को सौंपा गया है। देखना होगा कि हिमाचल इस काम को पूरा कर सकेगा या नहीं क्योंकि पड़ोसी राज्य से यहां के मुख्य सचिव की बात पिछले दिनों हुई थी जिसके बाद अभी तक ज्यादा रूझान नहीं दिखा है।