सुदर्शन ठाकुर। पतलीकूहल
कोरोना की मार झेल रहे बागवानों को मौसम भी झटके पर झटके दे रहा है। जहां शुरुआत में सेब की फ्लावरिंग के समय घाटी में मिट्टी वाली बारिश ने बागवानों की उम्मीदों को धूमिल कर दिया, वहीं कोरोना के मामलों में लगातार हो रही वृद्धि के कारण सरकार ने एक वर्ष बाद प्रदेश में फिर से कर्फ्यू लगा दिया है जिससे बागवान अपनी उपज को बेचने को लेकर दुविधा में हैं।
अब रही-सही कसर ओलों ने पूरी कर दी है। कुल्लू के पूल, कशामटी, जिंदौड, गदेड, क्षेड़, कठियालीवेड, शरन, बबेली व काहला गांवों के किसानों और बागवानों के लिए शनिवार को आसमान से ओले के रूप में आफत बरसी। ओले से इन गांवों के लगभग 290 बागवानों और किसानों की 1210 बीघा में उगाई गई फसल तबाह हो गई।
सेब, नाशपाती, प्लम, अनार, फूलगोभी, मटर व अन्य सब्जियों को ओलों ने पूरी तरह से तबाह कर दिया है। ओला इतना अधिक पड़ा कि फलों और सब्जियों के साथ- साथ पौधों को भी काफी अधिक नुकसान पहुंचाया है। एक तरफ कम फसल और कोरोना के कारण बागवान पहले से ही चिंतित थे, अब कुदरत की मार से उनमें कोई उम्मीद नहीं बची।
कुल्लू फलोत्पादक मंडल के प्रधान प्रेम शर्मा ने सोमवार को इन गांवों का दौरा किया तथा बागवानों को सरकार से मदद दिलाने का आश्वासन दिया। शर्मा ने कहा कि ओले ने किसानों और बागवानों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। बगीचों का मंजर ऐसा था कि सारा फल ओले से खराब हो गया था और आधा से अधिक फल नीचे जमीन पर गिरा हुआ था।
अब यह फल सब्जी मंडियों में कौडिय़ों के भाव बिकेगा जिससे बागवानों को भारी आर्थिक नुकसान होगा। यदि फल सीजन तक कोरोना पर काबू नहीं पाया जाता तो इस फल का बिकना मुश्किल हो जाएगा। शर्मा ने सरकार और प्रशासन से आग्रह किया कि प्रभावित क्षेत्र का शीघ्र दौरा कर किसानों और बागवानों को उचित मुआवजा दिया जाए और स्प्रे की दवाइयां भी उपलब्ध करवाई जाएं।