- शहरों से बिजली बिल कम होने की बजाय बढऩे की शिकायतें
- ईईएसएल ने कांग्रेस सरकार में बदली थी 50000 स्ट्रीट लाइटें
- कंपनी को नोटिस जारी कर कारण पूछेगा शहरी विकास विभाग
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : राज्य के शहरी निकायों यानी नगर परिषदों और नगर पंचायतों में जो एलईडी स्ट्रीट लाइट्स बिजली के बिल कम करने के लिए लगाई गई थीं, उनके कारण ही बिल बढ़ते जा रहे हैं। इस कारण करीब 50,000 स्ट्रीट लाइट्स अब शहरी निकायों के गले पड़ गई हैं।
कई शहरों से ये शिकायतें मिलने के बाद अब शहरी विकास विभाग इन्हें लगाने वाली ईईएसएल कंपनी से जवाब तलब कर रहा है। इनसे कहा जाएगा कि ये तो इसका कारण बताएं या एमओयू के अनुसार बिल कम करके दिखाएं। पूर्व कांगे्रस सरकार के समय 2015 में ये एमओयू ईईएसएल के साथ हुआ था। यह भारत सरकार का एक उपक्रम है, जिसने आगे यह काम किए निजी एजेंसी से करवाया।
पहले चरण में शिमला, धर्मशाला, सुंदरनगर, पांवटा, हमीरपुर, घुमारवीं और मनाली में ये लाइट्स लगाई गईं। उसके बाद अन्य शहरों में यह काम हुआ, लेकिन अब शहरों से शिकायत है कि बिजली के बिल कम होने के बजाय बढ़ गए हैं। मनाली में ही हर महीने करीब डेढ़ लाख का बिल चुकाना पड़ रहा है, जो पहले इससे कम था। इसके साथ ही इनकी मरम्मत का खर्चा अलग से देना पड़ रहा है। अब शिकायतें मिलने के बाद शहरी विकास विभाग ईईएसएल से इस बारे में जवाब दायर करने को नोटिस भेज रहा है।
लगभग हर शहरी निकाय से यह शिकायत है कि बिजली के बिल कम होने के बजाय बढ़ गए हैं। इस तरह से वित्तीय बोझ बढ़ रहा है। हमने संबंधित कंपनी से कहा है कि इस पर जवाब दायर करें, ताकि आगामी फैसला लिया जा सके।
-राम कुमार गौतम, निदेशक शहरी विकास विभाग
पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा ने ‘रिश्ता’ रखा था इस प्रोजेक्ट का नाम
कांग्रेस सरकार के दौरान लगी इन लाइट्स के प्रोजेक्ट को पूर्व शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा ने रिश्ता नाम दिया था, जिसका पूरा अर्थ था-राजीव गांधी इल्यूमिनेटिंग स्कीम फॉर हिल टाउन एडवांसमेंट। इसमें सेंट्रलाइज्ड कंट्रोल एंड मॉनिटरिंग सिस्टम के साथ ये एलईडी लाइट्स लगनी थीं। ईईएसएल ने दावा किया था कि कुल 64 हजार लाइट्स लगने के बाद हर साल 45 से 55 फीसदी तक बिजली की बचत होगी और राज्य सरकार ने 3.20 करोड़ हर साल बिल कम करके बचाएगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।