हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : जयराम सरकार में सामाजिक न्याय मंत्री डॉ. राजीव सहजल का एक नया ही व्यक्तित्व सदन में दिखा। एससी-एसटी आरक्षण के बिल पर चर्चा में शामिल होते हुए उन्होंने ऐसे तर्क रखे कि सारा सदन चुपचाप सुनता रहा। उनके लहजे में शालीनता थी और तथ्यों में मजबूती।
इसी आधार पर उन्होंने सबसे बड़ा हमला विपक्षी कांग्रेस के बजाये वामपंथी इतिहासकारों पर किया। डॉ. सहजल ने कहा कि वामपंथी इतिहासकारों ने इस देश के इतिहास को विकृत किए। समाज में एक वर्ग को दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दीवारें पैदा कीं। उन्होंने कहा कि हम श्रीराम को भगवान मानते हैं। पूरे रामायण में कहीं यह प्रमाण नहीं है कि सूर्यवंशी भगवान राम दलितों से घृणा करते थे। उन्होंने निषाद को भी गले लगाया तो सबरी के जूठे बेर भी खाए। लेकिन दुर्भाग्य रहा कि इन बातों को इतिहास में स्थान नहीं मिला। एक सुसंस्कृत देश के रूप में जब से हम खड़े होना शुरू हुए, तब से ये दीवारें गिर तो रही हैं, लेकिन अब भी बहुत काम बाकी है।
उन्होंने कहा कि आप कबीर को पढि़ए। खुद दलित थे, लेकिन उनके शिष्यों में राजा थे। संत रविदास के गुरु ब्राह्मण थे और शिष्य क्षत्रिय। उनमें से मीरा बाई थी एक थी। इसके बाद 10 सिख गुरुओं का योगदान भी अतुलनीय है। लंगर की प्रथा ही इसलिए लाई थी कि साथ बैठकर भोजन कर रहे व्यक्ति की जाति की बात न हो। यही काम अब संघ कर रहा है। इसी वजह से संघ शिक्षा वर्ग में आए महात्मा गांधी ने संघ के काम की तारीफ की थी।
उन्होंने कहा कि संविधान बनाती बार डॉ. अंबेडकर के भी जातिवाद को लेकर अपने अनुभव थे। उनका चपरासी उनके दफ्तर के अंदर नहीं आता था कि कहीं छू न लें। इसलिए आरक्षण की व्यवस्था की गई। लेकिन यह सब केवल कानून बनाने से नहीं होगा। पिछड़े वर्गों को ज्ञान और शक्ति देनी होगी।