शकील कुरैशी : शिमला
हिमाचल प्रदेश में मत्स्य उत्पादन को बढ़ाने के लिए एक मास्टर प्लान बनाया जाएगा। इस मास्टर प्लान में हरेक वो क्षेत्र शामिल रहेगा, जहां पर मछली का उत्पादन किया जा रहा है। वहां पर और अधिक उत्पादन कैसे किया जा सकता है इस पर फोकस रहेगा। इसके लिए प्रदेश सरकार का मत्स्य विभाग सेंट्रल कोल्ड वाटर फिश इंस्टीट्यूट की मदद लेगा। इसपर बातचीत शुरू हो चुकी है और जल्दी ही कोई नतीजा सामने होगा। जानकारी के अनुसार हाल ही में मत्स्य विभाग ने प्रदेश में मत्स्य उत्पादन को लेकर समीक्षा की है, जिसमें कई तरह की कमियों पर चर्चा हुई। इन कमियों को कैसे दूर करें इसको लेकर बातचीत की गई है, जिसके बाद एक मास्टर प्लान बनाने की सोची गई है।
केंद्रीय संस्थानों की इसमें मदद लेकर हिमाचल में मछली का उत्पादन बढ़ाने और मछुआरों की आमदनी को बढ़ाने के लिए काम किया जाएगा। इस मास्टर प्लान में सामने आएगा कि प्रदेश में किस जगह पर किस तरह से उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए तकनीकी सुझाव लिए जाएंगे। इससे पहले पूरे प्रदेश में विशेषज्ञ जाएंगे और अलग-अलग जगहों का आकलन करने के बाद अपनी रिपोर्ट देंगे। इसी रिपोर्ट के आधार पर मास्टर प्लान बनेगा और उसमें सभी कुछ सामने आ जाएगा। विस्तृत कार्ययोजना का खाका तैयार होने के बाद सरकार से उसमें आर्थिक मदद भी मांगी जाएगी।
राज्य में सबसे प्रमुख कोल्ड वाटर फिश को बढ़ावा देने की जरूरत है। ट्राउट फिश हिमाचल ही नहीं बल्कि प्रदेश से बाहर ज्यादा डिमांड में हैं। बड़े-बड़े होटलों में हिमाचल की ट्राउट की डिमांड रहती है। इतना ही नहीं उनकी जरूरत को प्रदेश पूरा नहीं कर पाता लिहाजा ट्राउट जोकि कोल्ड वाटर में होती है उसको यहां पर बढ़ाया जाएगा। इसके लिए कुछ नए स्थानों को भी चिह्नित किया जा रहा है।अभी तक राज्य के मंडी, कुल्लू, शिमला व चंबा में ट्राउट फिश का उत्पादन हो रहा है। यहां पर ट्राउट मछली मिलती है, जिसके अलावा कोल डैम के केज में भी ट्राउट के उत्पादन का ट्रायल किया गया है, जोकि सफल हुआ बताया जा रहा है। ऐसे में दूसरे डैम में भी इस तरह के केज विकसित किए जाएंगे। राज्य में मछली उत्पादन की बात करें तो पिछले वित्त वर्ष में 234 करोड़ रुपये की मछली का कारोबार यहां पर आंका गया है। इस कारोबार को और अधिक बढ़ाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए विशेषज्ञों की मदद चाहिए और कमियों को दूर किया जाना जरूरी है।
मछुआरों के लिए केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का बेहद फायदा मिल रहा हेै। सब्सिडी पर लोगों को कई तरह की सहूूलियतें प्रदान की जा रही हैं। इससे आगे भी अधिक संख्या में लोग फायदा ले सकते हैं। मास्टर प्लान बनाकर प्रदेश में मछली उत्पादन को बढ़ाया जाएगा।
-डॉ. अजय शर्मा, सचिव, मत्स्य विभाग।
प्रदेश में 625 ट्राउट फार्म
ट्राउट मछली के उत्पादन की बात करें तो प्रदेश में अभी इसका उत्पादन बढ़ रहा है। राज्य में 625 ट्राउट फार्म हैं, जोकि निजी व सरकारी क्षेत्र में हैं। पिछले साल ट्राउट उत्पादन का लक्ष्य 833.70 टन का रखा गया था, जबकि इससे ज्यादा 913.50 टन का उत्पादन यहां पर किया गया है। बिलासपुर की गोबिंद सागर की बात करें तो यहां पर सिल्वर कॉर्प फिश के उत्पादन में कमी दर्ज की गई है। कोल डैम के कारण यहां पर ब्रिडिंग ग्राउंड कम होते जा रहे हैं।