खेमराज शर्मा। शिमला
हिमाचल प्रदेश में नोटा ने उपचुनावों में नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। इस बार 14 हजार 817 वोटरों ने नोटा का बटन दबाया है। यानी इन वोटरों को कोई भी पसंद नहीं आया। अर्की विधानसभा क्षेत्र में लोगों ने सबसे ज्यादा नोटा का प्रयोग किया। यहां पर हुए कुल मतदान का 2.69 प्रतिशत नोटा के नाम रहा। मंडी संसदीय क्षेत्र में भी 1.68 प्रतिशत लोगों ने नोटा का प्रयोग किया। अगर चारों जगहों पर हुए उपचुनावों में नोटा की बात करें तो कुल मतदान का 1.34 फीसदी नोटा के नाम रहा।
मंडी लोकसभा सीट पर भाजपा-कांग्रेस के जीत के अंतर से अधिक वोट नोटा को पड़ेे। यानी यदि नोटा के वोट भाजपा को मिलते तो समीकरण बदल सकता था। सवर्ण संगठनों ने नोटा दबाने की अपील की थी। बता दें कि मंडी सीट पर नोटा के पक्ष में 12,626 वोट गिरे हैं। जबकि दोनों प्रत्याशी के बीच जीत का अंतर 8766 वोट का है।
नोटा को हार जीत के मार्जिन से 3860 अधिक वोट मिले हैं। मंडी में निर्दलीय उम्मीदवारों से ज्यादा नोटा को वोट पड़े। अर्की विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां पर 2.69 फीसदी वोट नोटा के नाम रहा। यानी की कुल 1626 लोगों को नोटा का प्रयोग किया। अगर यहां पर भी नोटा का वोट भाजपा के पक्ष में चला जाता तो समीकरण कुछ और ही होते, क्योंकि भाजपा और कांग्रेस के बीच हार का अंतर महज 3219 हैं।
अर्की में तो नोटा निर्दलीय उम्मीदवार से ज्यादा वोट ले गया। इसी तरह जुब्बल-कोटखाई में भी लोगों ने नोटा का प्रयोग किया। यहां पर 0.31 फीसदी वोट मिले। 176 लोगों ने नोटा को वोट डाला। भाजपा यहां पर केवल 4.67 फीसदी वोट तक की सीमित रह गई। फतेहपुर में 0.68 फीसदी वोट नोटा को मिले। कुल 389 लोगों ने नोटा को वोट डाला।
नाचन, बल्ह, किन्नौर में ज्यादा दबा नोटा
मंडी संसदीय क्षेत्र के तीन विधानसभा में सबसे ज्यादा लोगों ने नोटा का प्रयोग किया। इन चारों विस क्षेत्रों में नोटा 1 हजार से ज्यादा रहा। नाचन में 1959 लोगों ने नोटा का प्रयोग किया। बल्ह में 1647 लोगों ने नोटा का बटन दबाया। किन्नौर में 1006 लोगों ने नोटा को वोट दिया। ऐसे में अब सरकार समेत सभी पार्टियों के लिए यह सोचने पर मजबूर किया है कि लोग क्यों नोटा का प्रयोग कर रहे हैं।