शिमला:
आईएएस के बाद पूर्व सैनिक कोटे का झगड़ा अब एचएएस काडर में पड़ गया है। इसकी वजह है आईएएस के 11 पदों पर एचएएस से होने वाली इंडक्शन। एक और दो पूर्व सैनिक कोटे के अफसरों ने कार्मिक विभाग को रिपे्रजेंटेशन देकर उनकी वरिष्ठता फाइनल करने को कहा है, दूसरी ओर गैर फौजी अफसरों ने इसे एक चाल बताते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय तक बात पहुंचा दी है।
सारे विवाद के बीच अब कार्मिक विभाग ने कैबिनेट के लिए नोट तैयार कर मुख्यमंत्री कार्यालय फाइल भेज दी है ताकि ये तय हो सके कि वरिष्ठता पहले तय करनी है या फिर इंडक्शन वर्तमान स्थिति के अनुसार करनी है। इंडक्शन के लिए भारत सरकार को खाली पदों से तीन गुणा नाम भेजे जाते हैं। इसलिए 11 पदों के लिए हिमाचल प्रशासनिक सेवा के लिए 33 अफसरों के नाम का पैनल दिल्ली जाना है।
इस प्रक्रिया में जो अफसर इस बार आईएएस में आ रहे हैं, उनमें बिजली बोर्ड के निदेशक काॢमक मनमोहन शर्मा, निदेशक होम एंड विजिलेंस राकेश शर्मा, निदेशक प्रारंभिक शिक्षा विभाग रोहित जम्वाल, कार्यकारी निदेशक बिजली बोर्ड डॉ. अश्वनी शर्मा, निदेशक पर्यावरण डीसी राणा, कार्यकारी निदेशक एचआरटीसी अनुपम कश्यप, सचिव विधानसभा यशपाल शर्मा, अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी रूपाली ठाकुर, निदेशक शहरी विकास राम कुमार गौत्तम, आयुक्त शिमला नगर निगम पंकज राय और आयुक्त धर्मशाला नगर निगम प्रदीप कुमार ठाकुर आदि शामिल हैं।
केस कोर्ट गया तो रुक जाएगी इंडक्शन
एचएएस में 2012 के बाद वरिष्ठता फाइनल नहीं हुई है। पूर्व सैनिक अफसरों को सेना की सर्विस का लाभ सिविल में न देने का सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर इसके बाद आया है। हालांकि कार्मिक विभाग ने इससे पहले जब आईएएस में झगड़ा पड़ा था, तो भी पूर्व सैनिक कोटे के अफसर डिमोट नहीं किए थे।
यही आशंका अब एचएएस में गैर फौजी अफसरों को है, क्योंकि 2006 बैच के एचएएस मनोज कुमार और 2007 बैच के नरेश ठाकुर ने सीनियोरिटी तय करने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव कार्मिक विभाग को रिप्रेजेंट किया है। ऐसे में एक आशंका ये भी है कि यदि ये केस कोर्ट गया तो इंडक्शन भी रुक सकती है, जैसा कि पहले हो चुका है। अब फैसला या तो मुख्यमंत्री या फिर कैबिनेट को लेना है।