राजेश मंढोत्रा। शिमला:
15वें वित्तायोग की ओर से हिमाचल के लिए राजस्व घाटा अनुदान यानी रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट को 45 फीसदी तक बढ़ाने से सबसे बड़ी राहत ये होगी कि अब कम से कम वेतन देने के लिए राज्य सरकार को लोन नहीं लेना होगा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य के सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के लिए हर महीने करीब 1400 करोड़ का खर्चा है। इनमें से अब बढ़ी हुई ग्रांट के कारण हर महीने 953 करोड़ अब केंद्र सरकार ही दे दिया करेगी। पहले ये करीब 600 करोड़ था।
नई बात ये है कि रेवन्यू डेफेसिट ग्रांट के मामले में हिमाचल का नंबर देशभर में दूसरा और पड़ोसी राज्या में पहला है। यानी हिमाचल से ज्यादा आरडीजी केवल केरल को मिली है, जो 15323 करोड़ है। इसके बाद 11431 करोड़ के साथ हिमाचल का नंबर है। राज्य सरकार को वेतन पेंशन के साथ-साथ पुराने ऋणों के भुगतान के कारण हर साल करीब 5000 करोड़ का लोन लेना पड़ रहा है। चालू वित्त वर्ष के लिए भी 5,068 करोड़ का लोन लेने का लक्ष्य है और इसमें से अब तक 4000 करोड़ का ऋण लिया जा चुका है।
जम्मू-कश्मीर के कारण कट भी लगा
14वें वित्तायोग ने डिविजिबल पूल में राज्यों का हिस्सा 42 फीसदी रखा था। 15वें वित्तायोग ने इसमें एक फीसदी कटौती कर इसे 41 फीसदी कर दिया। इस एक फीसदी को नए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एंड कश्मीर को दिया गया है। लेकिन हिमाचल को फॉरेस्ट कवर के कारण ज्यादा मिले ढाई नंबरों के कारण ये नुकसान नहीं हुआ। इससे राज्यों के बीच हिमाचल का शेयर 0.713 से बढ़कर 0.799 फीसदी हो गया। पहली बार वित्तायोग सेक्टर वाइज एलोकेशन भी करने जा रहा है।
सीएम ने वित्तायोग और केंद्र का आभार जताया
मुख्यमंत्री ने कहा कि वित्तायोग ने राजस्व घाटा अनुदान को बढ़ाकर राज्य को बड़ी राहत दी है। बीडीसी और जिला परिषद का बजट बहाल होने जा रहा है। इसके अलावा आपदा राहत में भी अब ज्यादा पैसा सरकार को मिलेगा। करीब 200 करोड़ सालाना अब ज्यादा मिलेगा। उन्होंने कटाक्ष किया कि विपक्ष को भी समझना चाहिए कि जो मदद वित्तायोग से हिमाचल को इस बार हुई है, ये पहले कभी नहीं थी। वह दिल्ली से लौटकर अनाडेल में मीडिया से बात कर रहे थे।