खेमराज शर्मा : शिमला
हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला में प्रदेश का पहला रेन हार्वेस्टिंग डैम बनाया गया है। 16.38 करोड़ की लागत से तैयार हुए इस डैम के बनने से अब क्षेत्र की 233 हेक्टेयर भूमि पर फसल को सूखे का सामना नहीं करना पड़ेगा। जल शक्ति विभाग की ओर से इस डैम को तैयार किया गया है। ऐसे में अब बारिश के बाद पडऩे वाले सूखे से लोगों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इस महीने इस डैम का लोकार्पण करेंगे। कुटलेहड़ क्षेत्र के पथरीले पहाड़ी गांवों में बरसात में पानी नहीं टिक पाता है। यह पानी पथरीली धरती होने की वजह से बहकर नीचे घाटी में चला जाता है। इससे घाटी का जलस्तर तो बढ़ जाता है लेकिन इन गांवों में पेयजल सिंचाई के लिए पानी की स्थायी दिक्कत बनी रहती है।
इस दिक्कत के स्थायी समाधान के लिए इन गांवों में बरसात के पानी के बहाव को समूर खड्ड में 10 किलोमीटर लंबे कैचमैंट क्षेत्र में 16.38 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित किया गया है, ताकि यह पानी स्वां खड्ड में न मिल सके तथा इस बांध के माध्यम से इस पानी को वापस इन पथरीले गांवों की सिंचाई तथा जमीन में जलस्तर को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जा सके। इस बांध में 767 मिलियन लीटर बरसात के पानी का जल संग्रह किया जा सकेगा। जिसका सीधा लाभ क्षेत्र के 5580 लोगों को होगा जोकि कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहे हैं। उन्हें गर्मियों के मौसम में पानी की खासी दिक्कत झेलनी पड़ती है। इस जलाशय से पहाड़ी पथरीले गांवों की 233 हेक्टेयर फसल को वर्ष भर पर्याप्त सिंचाई की सुविधा मिलेगी।
रोजगार के वैकल्पिक साधन मुहैया होंगे, पर्यटन स्थल के रूप में होगा विकसित
इस बांध में मछली उत्पादन की महत्वाकांक्षी योजना शुरू की गई है। इसके अंतर्गत बेरोजगार युवकों को मछली पालन का प्रशिक्षण प्रदान करके बांध में मछली पालन के माध्यम से रोजगार के वैकल्पिक साधन मुहैया करवाए जाएंगे। इस बांध के नैसर्गिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए कुटलैहड़ पर्यटन विकास समिति के तत्वावधान में ढांचागत सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।
44 हैंडपंप और 32 कुएं हुए रिचार्ज
ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि पूरे क्षेत्र को इस बांध के कैचमैंट क्षेत्र के रूप में उपयोग किया जा रहा है। इससे समूर कलां, समूर खड्ड-खुर्द, लम लैहड़ी, वाउल उपरली, वाल झीकली, करवलाइन सराहल, परनोलियां सनहाल, मनोनियां सनहाल तथा बहल गांवों में हरियाली तथा ग्राउंड वॉटर को रिचार्ज करने में मदद मिलेगी। इस डैम से इस क्षेत्र के सूखे पड़े 44 हैंडपंप तथा 31 कुओं को रिचार्ज करने में भी मदद मिलेगी।
अनार, लीची, मौसंबी फलों की खेती शुरू
इस बांध की वजह से क्षेत्र में किसानों ने शिवा परियोजना के अंर्तगत अनार, लीची, मौसंबी जैसे फलों की खेती शुरु की है, जबकि इससे पहले किसानों को सिंचाई सुविधाओं में कमी की वजह से मात्र एक फसल से ही संतोष करना पड़ता था।