शिमला:
प्रदेश हाईकोर्ट ने जलरक्षक को नियुक्ति न देने के मामले में जिलाधीश मंडी को आदेश दिए कि वह तहसील सरकाघाट के तहत ग्राम पंचायत चनौता के प्रधान के खिलाफ जांच शुरू करें। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने वीना कुमारी की याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश दिए।
कोर्ट ने प्रार्थी को जलरक्षक के तौर पर नियुक्ति देने के आदेश भी दिए। मामले के अनुसार प्रार्थी का चयन 16 सितंबर, 2016 को जलरक्षक के लिए हुए साक्षत्कार में किया गया था। चयन के बाद विधियुक्त प्राधिकारी ने ग्राम पंचायत चनौता के प्रधान को आदेश दिए कि वह चयनित प्रार्थी को नियुक्ति प्रदान करें। प्रधान ने प्रार्थी को नियुक्ति देने से इनकार कर दिया, जिसके पश्चात आईपीएच सब डिवीजन धर्मपुर के सहायक अभियंता ने 23 नवंबर, 2016 को जलरक्षक की नियुक्ति ही रद कर दी। कोर्ट ने प्रधान और सहायक अभियंता के रवैये पर खेद जताते हुए कहा कि यह वैध प्राधिकारी के आदेशों की अवज्ञा का स्पष्ट उदाहरण है।
कोर्ट ने आईपीएच विभाग के इंजीनियर इन चीफ को भी आदेश दिए कि वह तत्कालीन सहायक अभियंता के खिलाफ जांच करे कि किन परिस्थितियों में उसने 23 नवंबर, 2016 को जलरक्षक की भर्ती ही रद कर दी, जबकि प्रार्थी का चयन कर लिया गया था। कोर्ट ने प्रधान व सहायक अभियंता के खिलाफ 3 माह के भीतर जांच पूरी करने के आदेश दिए और इनके खिलाफ उचित कार्रवाई अमल में लाने के आदेश दिए।