रतीक्ष कुमार : ज्वाली
युवा सोच स्वयंसेवी आपदा प्रबंधन जिला कांगड़ा स्थित धर्मशाला नितिश कुमार ने राष्ट्रीय पंचायत दिवस पर अपने विचार रखते हुए इस दिन के इतिहास के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि पंचायती राज व्यवस्था का जनक लॉर्ड रिपन को माना जाता है।रिपन ने 1882 में स्थानीय संस्थाओं को उनका लोकतांत्रिक ढांचा प्रदान किया था। सबसे पहले राजस्थान में ये व्यवस्था लागू की गई थी। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस है।कहा जाता है कि भारत का दिल उसके गांवों में बसता है और देश की समृद्धि उसके गांवों से ही है।देश में तकरीबन में छह लाख से अधिक गांव हैं। जो छह हजार से अधिक ब्लॉक और 750 से अधिक जिलों में बंटे हुए हैं।
पंचायती राज का तात्पर्य स्वशासन से है और यह व्यवस्था शासन के विकेंद्रीकरण के तहत की गई है।पंचायती राज संस्था को भारत के सबसे पुराने शासी निकायों में माना जाता है। हर साल सत्ता के विकेंद्रीकरण के ऐतिहासिक क्षण को यादगार बनाने के लिए के लिए भारत 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाता है। पंचायती राज व्यवस्था कोई नई व्यवस्था नहीं है ये प्राचीन काल से चली आ रही एक बेहतरीन व्यवस्था है।