जय प्रकाश। संगड़ाह
उपमंडल संगड़ाह में सोमवार व मंगलवार को 2 दिन हुई बारिश के चलते आखिरकार क्षेत्रवासियों को सूखे की स्थिति व पेयजल संकट से निजात मिल गई। गत सप्ताह तक जहां क्षेत्र के अलग-अलग गांवों से पानी की कमी की शिकायतें आ रही थीं, वहीं अब किसी भी गांव में पेयजल संकट नहीं है।
जून माह में गत वर्षों में जहां प्रशासन द्वारा उपमंडल के कुछ गांवों में टैंकर से पानी मुहैया करवाए जाने पर लाखों रुपये खर्च किए जाते थे, वहीं शायद इस बार पानी की राशनिंग की जरूरत नहीं रहेगी। इलाके में सबसे ज्यादा पेयजल संकट जून माह में ही होता है तथा इस बार जमकर हुई बारिश ने सूखे के संकट को दूर कर दिया है। बारिश से किसानों को भी खरीफ की फसलों के बेहतर उत्पादन की उम्मीद है। हालांकि ओलावृष्टि से कई हिस्सों में सेब, स्टोन फ्रूट व आलू की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है।
बीडीसी अध्यक्ष संगड़ाह मेलाराम शर्मा तथा क्षेत्र के किसानों द्वारा सेब तथा आलू उत्पादकों को यथासंभव मुआवजा तथा फसल बीमा योजना का लाभ दिए जाने की मांग भी सरकार व प्रशासन से की जा चुकी है।
बारिश के चलते इलाके में मौजूद माइक्रो हाइड्रो प्रोजेक्ट का उत्पादन भी बढ़ गया है। संगड़ाह के साथ लगती पालर खड्ड अथवा सहायक नदी पर मौजूद सूक्ष्म विद्युत परियोजना को नदी का जल स्तर बढ़ने अथवा बाढ़ की स्थिति से अब बिजली उत्पादन के पर्याप्त पानी मिल रहा है।
परियोजना के साइट इंजीनियर रवि कुमार ने बताया कि इससे पहले पानी स्टोर करने के बाद दिन में केवल कुछ ही घंटे के लिए एक टरबाइन चल पा रहा था। उन्होंने कहा कि सिल्ट अथवा गाद के चलते मंगलवार को कुछ घंटे विद्युत उत्पादन बंद रहा। उक्त परियोजना प्रतिदिन 72,000 यूनिट बिजली पैदा कर सकती है।
दिल्ली की कंपनी मंगलम एनर्जी को यहां साढ़े 4 मेगावाट के एक और माइक्रो हाइडल प्रोजेक्ट का टेंडर भी एक दशक पहले मिला था, मगर अब तक निर्माण कार्य शुरू होना शेष है।
जल शक्ति विभाग के सहायक अभियंता संगड़ाह अनिल चौहान ने बताया कि बारिश के बाद क्षेत्र के किसी भी गांव में पानी की कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि बारिश के चलते इस बार संभवतः जून माह में पहले की तरह जल संकट नहीं होगा तथा प्राकृतिक जल स्रोतों का जल स्तर भी आंशिक रूप से बारिश के चलते बढ़ा है।