चेतन लता। जंजैहली
सराज उपमंडल थुनाग के आराध्य देव और एक हजार पहाड़ियों के राजा देव शैटीनाग बुधवार को अपनी महायात्रा के दौरान मंडी के बड़ादेओ कमरूनाग माता शिकारी के दर्शन कर वापस लौट आए हैं। लौटते वक्त वीरवार को जंजैहली में रात्रि प्रवास कर शुक्रवार को अपने देव स्थान को रवाना हो गए। देव शैटीनाग 12 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद देव कमरूनाग और माता शिकारी की महायात्रा पर अपनी मूल कोठी से निकले थे।
देव शैटीनाग के मुख्य कारदार हिम्मत सिंह ठाकुर ने कहा कि देव शैटीनाग अपनी 7 दिवसीय महायात्रा के दौरान मंगलवार देर शाम बड़ादेओ कमरूनाग की पावन भूमि पर पहुंचे और पवित्र झील की परिक्रमा कर देव कमरूनाग का विधिवत पूजन किया गया।
उन्होंने कहा कि देव शैटीनाग बुधवार को देव कमरूनाग मंदिर परिसर से अपने अगले पड़ाव माता शिकारी देवी के लिए निकले थे, जहां उन्होंने रात्रि विश्राम लिया। उन्होंने कहा कि देव शैटीनाग 12 वर्षों के उपरांत देव कमरूनाग और माता शिकारी के दर्शनों के लिए निकले थे।
इस दौरान देव कारदारों और देवलुओं द्वारा देवता के साथ संपूर्ण रीति-रिवाजों को विधिनुसार निभाया गया। 7 दिन की सराज घाटी की पदयात्रा कर वह जंजैहली से रवाना हो गए हैं। देव शैटी के जंजैहली पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत हुआ। ढोल-नगाड़ों, रणसिंगों,
करनाल. शहनाई आदि अनेकों वाद्य यंत्र से जंजैहली गुंजायमान हो उठी।
इस मौके पर देव शैटीनाग ने सराजवासियों को आशीर्वाद दिया। लोगों को पूरा यकीन है कि अब कोरोना जैसी महामारी या कोई भी महामारी से निजात मिलेगी। करीब ड़ेढ़ वर्ष के बाद इस तरह का इतने लोग नाचते गाते दिखे। लोग देवता के दर्शन करके धन्य हुए।