आरोपी और जांचकर्ता हुए रिटायर, कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति, कुल्लू अस्पताल में 10 गोली के दाम पर हुई है दवा की एक गोली की खरीद
अजय कुमार। कुल्लू/मंडी : कुल्लू अस्पताल में करीब 2 साल पहले हुई दवा खरीद मामले की जांच पर साहबों ने ही कुंडली मार रखी है। इस दवा खरीद में नामजद रहे अधिकारी सहित जांच करने वाले साहब भी सेवानिवृत्त हो गए हैं, लेकिन जांच की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने की हिम्मत अभी भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जुटा नहीं पाए हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में नामजद साहब की पेंशन बंद कर दी है और रिटायरमेंट पर मिलने वाले वित्तीय लाभों पर भी रोक लगा रखी है।
कुल्लू अस्पताल में हुई इस दवा खरीद मामले में स्वास्थ्य विभाग ने संयुक्त निदेशक रहे डॉ. बीएम गुप्ता से जांच करवाई है। जांच अधिकारी ने पूरे मामले की रिपोर्ट विभाग के उच्च अधिकारियों को कार्रवाई के लिए भेज दी है। बताया जा रहा है कि जांच के दौरान दवा खरीद मामले में अनियमितताएं बरतने के आरोप तो सिद्ध हो गए हैं, लेकिन यह साबित नहीं हो पाया है कि सरकारी धन का कितना दुरुपयोग हुआ है।
दवा खरीद मामले की जांच रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव अमरजीत सिंह सहित विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान को भी भेजी गई है। रिपोर्ट के बाद क्या कार्रवाई की जानी है, इसे लेकर विभाग के उच्च अधिकारियों के बीच मंत्रणा तो हुई है, लेकिन अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि क्या जांच पुलिस द्वारा करवाई जानी चाहिए।
क्या है दवा खरीद मामला?
आरोप हैं कि कुल्लू अस्पताल में एक दवा सप्लाई करने वाली फर्म पर दिल खोलकर के मेहरबानी दिखाते हुए 10 गोलियों के दाम पर दवा की एक गोली खरीद ली गई थी। दवा खरीद के इस मामले में रोचकता यह है कि तत्कालीन एमएस ने यह मेहरबानी किसी और पर नहीं, बल्कि अपने नजदीकी की एक फर्म पर की थी। कुल्लू अस्पताल में यह दवा खरीदार 2017-18 के वित्तीय वर्ष में की गई थी। इस दौरान एक फर्म से 10 गोलियां 14.46 रुपये में खरीदने के बजाय एक गोली ही 14.46 रुपये में खरीद ली गई थीं।
दवा खरीद के लिए बनाई गई तुलनात्मक अध्ययन सूची में दवाई का रेट तो ठीक दर्ज है, लेकिन दवा की सप्लाई देने के बाद बिल में रेट प्रति 10 गोली के बजाय एक गोली दर्शा करके सरकारी खजाने को जमकर लूटा गया है। इस मामले की शिकायत स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, निदेशक स्वास्थ्य विभाग सहित विजिलेंस को भी की गई है।
दवा खरीद में गोलमाल
रिफैमिसीन 150 एमजी दवा की 10 गोली का दाम 14.46 रुपये तय किया गया था और 5000 गोली सप्लाई की जानी थी। ऐसे में सप्लाईकर्ता को मात्र 7230 रुपये विभाग द्वारा दिए जाने थे, लेकिन इसकी एवज में 72300 रुपये दिए गए। रिफैमिसीन 450 एमजी की 10 गोली का दाम 37.61 रुपये दर्शाया गया है और इसकी भी 5000 गोलियां खरीदी गई है, लेकिन सप्लाईकर्ता को इसकी एवज में 1,88,050 रुपये दिए गए।
यहां भी एक गोली 37.61 रुपये में खरीदी गई। डैपसोनेट की एक हजार गोली खरीद में भी गोलमाल हुआ है। यहां तो दवा सप्लाई करने वाले को 1 लाख 71 हजार रुपये अदा किए गए हैं। फ्लूकानाजोल 450 एमजी की दस गोलियों का रेट 16.46 रुपये दर्शाया गया है, जबकि दवा की चार गोलियां 15.72 रुपये में सप्लाई हुई हैं।
किसने क्या कहा
नियमों के अनुरूप ही दवा सप्लाई की गई है। इसमें कोई गोलमाल नहीं हुआ है। खरीद की जांच में भी कोई अनियमितता नहीं पाई गई है।
-राजपाल सिंह, मालिक सप्लाई कर्ता फर्ममामले की जांच कर रिपोर्ट विभाग के उच्च अधिकारियों को सौंप दी गई है और इस पर कार्रवाई करने का फैसला उच्च अधिकारियों को ही लेना है
-डॉ. बीएम गुप्ता, संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य विभागफिलहाल दवा खरीद में शामिल रहा अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुका है और विभाग ने उसकी पेंशन सहित अन्य वित्तीय लाभ रोक दिए हैं।
-डॉ. अजय गुप्ता, निदेशक स्वास्थ्य विभागजांच अधिकारी ने रिपोर्ट विभाग को सौंपी है। इस पर क्या एक्शन लेना है, इसे लेकर सारे तथ्य जांचे जा रहे हैं।
-अमरजीत सिंह, स्पेशल सेक्रेटरी, स्वास्थ्य विभाग