हिमाचल दस्तक। पालमपुर
भारतीय सेना के रैंबो कहे जाने वाले शहीद मेजर सुधीर वालिया अशोकचक्र सेना मेडल बार के जन्मदिवस पर पालमपुर में शहीद स्मारक पर तथा गांव बनूरी में शहीद मेजर के निवास स्थान पर श्रद्धासुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। शहीद के जन्मदिवस पर शहीद मेजर सुधीर वालिया के पिता रुलिया राम वालिया ने अपने शहीद बेटे के जन्म दिवस पर नम आंखों से श्रद्धांजलि दी।
जन्म दिवस पर परिवार तथा मित्र-संबंधियों द्वारा प्रतिमा स्थल पर साफ-सफाई तथा सेनिटाइजेशन कर फूलदार पौधे लगाकर पौधरोपण किया गया। इस मौके पर पालमपुर वार्ड 14 बनूरी की पार्षद मोनिका शर्मा ने भी प्रतिमा स्थल पर शहीद के जन्मदिवस पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
इस मौके पर चलते-फिरते स्मारक कहे जाने वाले अभिषेक गौतम जो हापुर उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं, ने शहीद के जन्मदिवस पर प्रतिमा स्थल पर सेल्यूट कर श्रद्धांजलि दी। ज्ञात रहे कि अभिषेक गौतम अपने शरीर पर शहीदों के नाम टैटू करवा कर शहीदों को याद तथा नमन किया करते हैं।
शहीद मेजर सुधीर वालिया की बहन आशा देवी, भाभी सिमरन वालिया, जीजा परवीन आहलूवालिया, मित्र शुभम शर्मा, अजय सूद, डिंपल राणा और बच्चे जैस्मीन, ऋषिका, नंदिनी, करणवीर, आराध्य उपस्थित रहे। गौर हो कि शहीद मेजर सुधीर वालिया का जन्म 24 मई, 1968 को जोधपुर के सैन्य अस्पताल में हुआ था, जहां उनके पिता सूबेदार रुलिया राम वालिया कार्यरत थे। 1978 में अपने गांव के स्कूल में आरंभिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद सुधीर ने कक्षा छठी के विद्यार्थी के रूप में सुजानपुर टिहरा के सैनिक स्कूल में दाखिला लिया था। ये सुजानपुर टिहरा सैनिक स्कूल का पहला बैच था।
अपनी स्कूली शिक्षा पूर्ण करने के बाद सुधीर वालिया ने 1984 में खड़कबासला की राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रवेश पाया। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में एक कैडेट के रूप में 3 साल का कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद अब सुधीर वालिया भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून का एक जैंटलमेन कैडेट था। 23 जून, 1988 सूबेदार रुलिया राम और उनकी पत्नी राजेश्वरी के लिए एक बहुत बड़ा दिन था, जब उनके बेटे सुधीर वालिया ने 4 जाट रेजिमेंट में एक सेकंड लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन पाया।
कमीशन पाने के तुरंत बाद सेकंड लेफ्टिनेंट सुधीर वालिया को भारतीय शांतिसेना का हिस्सा बना कर श्रीलंका में लिट्टे से लड़ने के लिए भेजा गया। श्रीलंका से वापस आने के बाद सुधीर वालिया स्पेशल फोर्स के लिए वॉलंटियर हुए और पैराशूट रेजिमेंट की 9वीं बटालियन में सफलतापूर्ण स्थापित किए गए।
9वीं पैरा भारतीय सेना की एक खास टुकड़ी है जो पर्वतीय ऑपरेशन के लिए जानी जाती है। मेजर सुधीर वालिया ने कश्मीर घाटी में बहुत से ऑपरेशन में इस टुकड़ी का नेतृत्व किया और घाटी में आतंकी संगठनों और उनके सरगनाओं का सफाया किया। ऐसे ही एक कामयाब ऑपरेशन के लिए उन्हे सेना पदक (बहादुरी) से नवाजा गया।
मेजर सुधीर वालिया की अद्भुत कार्यशैली की वजह से अमेरिका ने पैंटागन में अमेरीकी सैनिकों को संबोधित करने का न्यौता दिया, यह एक गैर अमेरिकी सैन्य ऑफिसर के लिए विरला मौका था। उन्होंने 25 जुलाई, 1999 को 9वीं पैरा का नेतृत्व किया और एक दर्जन से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतार कर जुलू पोस्ट करगिल पर कब्जा कर लिया।