कमल शर्मा। शाहतलाई
10 जून, 2021 को ज्येष्ठ मास अमावस्या, वट सावित्री व्रत, शनि जयंती एवं कंकण सूर्यास्त स्वल्पग्रास सूर्य ग्रहण आदि का पर्वों का संयोग बन रहा है। सबसे पहले हम कंकण ग्रहण के विषय में चर्चा करेंगे। ये ग्रहण सूर्यास्त स्वल्पग्रास ग्रहण के रूप में होगा।
इस संबंध में डॉ. कपिलदेव भारद्वाज ने विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसका प्रभाव भारत के पूर्वोत्तर प्रदेश अरुणाचल प्रदेश के कुछ भागों एवं उत्तरी राज्य जम्मू-कश्मीर के कुछ भागों में सिर्फ 18 मिनट के लिए होगा। इसकी प्रतिशतता मात्र 3 प्रतिशत होगी, जबकि शास्त्रोक्त ज्योतिष आर्ष ग्रंथों सूर्यसिद्धांत आदि के मतानुसार एक अंगुल अर्थात 10 प्रतिशत से कम ग्रास वाले ग्रहण स्वीकार्य नहीं होता है।
अतः इस ग्रहण को मानना न के बराबर है। फिर भी जिन भागों में ये दिखाई देगा, वहां पर इसका आंशिक रूप से सूतक का प्रभाव भी रहेगा जो सुबह 5 बजकर 54 मिनट से शाम 6 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
अब बात आती है शनि जयंती की
डॉ. कपिलदेव भारद्वाज ने कहा कि शनि जयंती महोत्सव विशेष रूप में सूर्य पुत्र शनि के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह उत्सव ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस बार ये अमावस्या 10 जून, 2021 वीरवार को है। इसी दिन कंकण सूर्य ग्रहण भी है जिसका जिक्र हमने इससे पूर्व में कर दिया है।
शनि जयंती के इस अवसर पर जिन जातकों को शनि ग्रह जनित कष्ट उत्पन्न हो रहे हैं जैसे शनि इस वर्ष आंग्ल वर्ष के अनुसार 23 जनवरी, 2021 से मकर राशि में संचार कर रहे हैं।
इनके इस गोचर संचार से शनि साढेसाती (7 वर्ष 6 महीने) -नामाक्षर व जन्माक्षर से बनने वाली राशि के निम्न जातकों जिनमें- धनु-मकर-कुंभ राशि के जातकों है। शनि की ढैया (2वर्ष 6 महीने) नामाक्षर व जन्माक्षर से बनने वाली राशि के जातकों के लिए मिथुन एवं तुला राशि के जातकों को रहेगी।
शनि न्याय प्रदत्त करने वाला ग्रह है। गोचर में अगर जातक के जन्मांग में शनि प्रतिकूल हो और जातक की कार्य पद्धति सकारात्मक अर्थात असहाय एवं जरूरतमंदों की सेवा के प्रति सच्ची निष्ठावान हो तो ऐसे में शनि मनुष्यों को कष्ट से मुक्ति प्रदान कर ऊर्जावान बनाता है।
शनि जयंती के इस अवसर पर इन राशि के जातकों के साथ जिन जातकों के जन्मांग में, वर्ष कुंडली अष्टकवर्ग में गोचरवश प्रतिकूल है वे सभी जातक निम्नवत उपाय करने से उनमें एक सकारात्मक परिवर्तन अवश्य मिलता है-
शनि जयंती को काले रंग की चिड़िया खरीदकर उसे दोनों हाथों से आसमान में उड़ा दें। आपकी दुख-तकलीफें दूर हो जाएंगी।
शनि जयंती पर हनुमान जी की पूजा जैसे हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, पंचमुखी हनुमान कवच का पाठ करना चाहिए।
शाम को हनुमानजी को 2 किलो 500 ग्राम बेसन या बूंदी के लड्डू का भोग लगाकर प्रसाद वितरित करना चाहिए।
शनि जयंती के दिन लोहे का त्रिशूल महाकाल शिव, महाकाल भैरव या महाकाली मंदिर में अर्पित करें।
पुराना जूता शनि जयंती के दिन चौराहे पर रखें।
गेहूं, उड़द , काले मिलाकर आटा पिसवाकर 11 किलो गायों को खिलाना चाहिए।
गऊशाला में शाम के समय जाकर 11 किलो सारसों, काले चने, गुड़ कला नमक, तारामीरा दान करें।
शनि जयंती के दिन बंदरों को काले चने, गुड़, केला खिलाएं।
शनि जयंती पर सरसों के तेल का लौह छाया पात्र दान करें।
शनि जयंती को काले उड़द पीसकर उसके आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं।
शनि जयंती को आक के पौधे पर लोहे की कीलें चढ़ाएं, काले घोड़े की नाल या नाव की कील से बनी लोहे की अंगूठी मध्यमाअंगुली में शनि जयंती को सूर्यास्त के समय पहनें।
शमशान घाट में लकड़ी का दान करें।
शनि जयंती से आरंभ कर चीटिंयों को 7 शनिवार काले तिल, आटा, शक्कर मिलाकर खिलाएं।
शनि जयंती की शाम पीपल के पेड़ के नीचे तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
काले तिल से शिव भगवान का अभिषेक करने से शारीरिक मानसिक कष्ट दूर होंगे।
तिल या सरसों के तेल से शनि का अभिषेक करवाएं।
शनि विशेष समिधा से हवन यज्ञ करवाएं।