- एजुकेशन की यू डाइज रिपोर्ट में खुलासा
- मिडल के 11.45 फीसदी स्कूल वंचित
- प्राइमरी के 772 स्कूल भी सुविधा से दूर
प्रतिमा चौहान: शिमला
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सुविधाओं की पोल एक बार फिर से खुल गई है। अभी भी राज्य के 19 फीसदी स्कूलों में विशेष छात्रों को शौच करने के लिए बाहर जाना पड़ता है। वहीं 8 फीसदी सरकारी स्कूलों में नॉर्मल व विशेष किसी भी छात्र व छात्राओं को शौच जाने के लिए शौचालय की सुविधा नहीं है। हैरत इस बात की है कि स्वच्छ भारत मिशन के दावे भी स्कूलों में फेल हो गए हैं। सरकारी स्कूलों में शौचालयों की सुविधा न होना सरकार पर कई सवाल खड़े कर रहा है।
राज्य के 7.30 प्रतिशत प्राइमरी व 11.45 प्रतिशत मिडल स्कूलों में शारीरिक रूप से अक्षम छात्रों को शौचालय ही नहीं है। हैरानी इस बात की है 2020-2021 यू डाइज रिपोर्ट में भी शौचालयों की कमी को पूरी नहीं कर पाया है। अगर बाकी छात्रों के शौचालयों की बात करें तो 8 फीसदी स्कूलों में विशेष छात्रों के अलावा दूसरे छात्रों के लिए शौचालय नहीं हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह से स्कूलों में स्वच्छ भारत का सपना कितना सच हो रहा है।
इसके साथ पिछले वर्ष भी विशेष छात्रों के लिए यू डाइज रिपोर्ट में स्कूलों में शौचालयों की कमी दूर नहीं हो पाई थी। इसके साथ ही सबसे ज्यादा ऊना जिले में 178 प्राइमरी स्कूल, 41 मिडल स्कूलों में भी बिना शौचलयों के विशेष छात्र पूरा दिन पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं दूसरों के सहारे जनरल शौचालयों का प्रयोग मजबूरी में कर रहे हैं। भले ही 20 फीसदी शौचालयों का आंकड़ा इतना ज्यादा न हो, लेकिन स्कूलों में एक भी शौचालय न होना भी कई सवाल खड़े करता है। पहली से लेकर पांचवीं तक के छात्र व छात्राओं को शौचकरने के लिए कहां जाना पड़ रहा होगा, यह एक बड़ा चिंतनीय विषय है। राज्य सरकार ने दावा किया था कि शारीरिक रूप से अक्षम छात्रों को अलग से शौचालय तैयार किए जाएंगे।
8 प्रतिशत स्कूलों में एक भी शौचालय नहीं
बता दें कि सरकारी स्कूलों में विशेष छात्रों के अलावा दूसरे छात्रों को भी शौच जाने की पूरी व्यवस्था नहीं है। करीब 8 फीसदी स्कूलों में छात्रों के लिए एक भी शौचालय नहीं है। इसमें मिडल स्कूलों मेें 5 फीसदी व प्राइमरी के 3 फीसदी स्कूलों में किसी भी छात्र छात्राओं को शौच जाने के लिए सुविधा नहीं है।