वरिष्ठ संवाददाता, शिमला
सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे शास्त्री व भाषा शिक्षकों को खुशखबरी मिली है। 25 वर्षो के बाद भाषा व शास्त्री शिक्षकों को टीजीटी पदनाम मिला है। इसकी अधिसूचना सोमवार को शिक्षा प्रधान सचिव देवेश कुमार ने जारी कर दी। इससे राज्य के करीब 15 हजार से ज्यादा शिक्षकों को राहत मिल सकती है। अहम यह है कि टीजीटी पदनाम मिलने के बाद अब शास्त्री व भाषा अध्यापकों को वित्तीय लाभ भी टीजीटी के बराबर मिलेगे।
इसके साथ ही अब मिडल सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले सभी शिक्षक टीजीटी होंगे। लंबे समय से हिमाचल के सरकारी स्कूलों में तैनात शास्त्री व भाषा अध्यापक टीजीटी पदनाम को लेकर सरकार व अधिकारियों के इर्द गिर्द बार – बार चक्कर काट कर रहे थे। लेकिन शिक्षा व्यवस्था एक अधिकारी के हाथ में न रहकर बार – बार बदलती गई। इस वजह से कई योजनाएं शिक्षा विभाग भी काफी समय से लटकी थी। अब बताया यह जा रहा है कि जिलों से टीजीटी बनने वाले दोनों कैटेगिरी वाले शिक्षकों का डाटा मंगवाया जाएंगा। उसके बाद उन्हें वित्तीय लाभ देना शुरू कर दिए जाएंगे।
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ हिमाचल सरकार का भाषा अध्यापक और शास्त्री को टीजीटी हिंदी और टीजीटी संस्कृत का दर्जा देने के लिए मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर, शिक्षामंत्री गोविंद ठाकुर, प्रधान शिक्षा सचिव देवेश कुमार का आभार व्यक्त किया है। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के हिमाचल इकाई के प्रधान पवन कुमार, महामंत्री डॉ मामराज पुंडीर, संगठन मंत्री विनोद सूद, सी एंड वी उपाध्यक्ष तीर्था नन्द, सभी जिलों के अध्यक्ष, महामंत्री, प्रदेश व जिला कार्यकारिणी के सदस्यों ने सरकार का आभार व्यक्त किया है।