नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से बृहस्पतिवार को कहा कि वह राष्ट्र हित में पाबंदियां लगा सकता है, लेकिन समय-समय पर इनकी समीक्षा भी होनी चाहिए।
न्यायमूर्ति एन वी रमण की अगुवाई वाली एक पीठ को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि प्रशासन रोजाना इन प्रतिबंधों की समीक्षा कर रहा है। पीठ जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद राज्य में लगाई गई पाबंदियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। जम्मू-कश्मीर प्रशासन का पक्ष रख रहे मेहता ने शीर्ष अदालत से कहा, पाबंदियों की रोजाना समीक्षा की जा रही है। करीब 99 प्रतिशत क्षेत्रों में कोई प्रतिबंध नहीं हैं। पीठ में न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई भी शामिल हैं। पीठ ने राज्य में इंटरनेट पर लागू प्रतिबंध के बारे में पूछा।
इस पर सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को बताया कि इंटरनेट पर प्रतिबंध अब भी इसलिए जारी हैं क्योंकि सीमा-पार से इसके दुरुपयोग की आशंका है। न्यायालय इन याचिकाओं पर पांच नवंबर को दलीलें सुनेगा। पीठ अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने के केंद्र के पांच अगस्त के फैसले के बाद जम्मू कश्मीर में लगाए गए प्रतिबंधों और संचार सेवाएं रोके जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
न्यायालय ने 16 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर प्रशासन से कहा था कि वह उसके समक्ष उन आदेशों को रखे जिनके आधार पर राज्य में संचार प्रतिबंध लगाए गए थे। इसने संचार प्रतिबंध लगाने के आदेश और अधिसूचना रखने में विलंब को लेकर प्रशासन से सवाल किया था।