- सीएम की घोषणा पर अफसरशाही के हाथ खड़े
- ऊना, हमीरपुर, कांगड़ा में कहां बनेंगी सुरंगें
- एक सुरंग के लिए चाहिए तीन से चार हजार करोड़
शकील कुरैशी : शिमला
हिमाचल प्रदेश में सालों से सुरंग निर्माण के कुछ प्रोजेक्ट कागजों में पड़े हैं क्योंकि उनकी वायबिलिटी नहीं बन रही। उनके निर्माण के लिए न तो इतना पैसा है और न ही भौगोलिक परिस्थितियां अनुकूल हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विधायक प्राथमिकताओं में सुरंग प्रोजेक्ट को शामिल करने का एलान तो कर दिया मगर उनकी घोषणा पर अफसरशाही के हाथ खड़े हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार अधिकारी खुद यह समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर सीएम ने ऐसी घोषणा कैसे कर दी।
एक सुरंग के लिए तीन से चार हजार करोड़ रुपये तो लगने लाजिमी है और यह पैसा कहां से आएगा। विधायक प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए नाबार्ड से पैसा लिया जाता है, लेकिन नाबार्ड इतनी बड़ी फंडिंग सुरंग निर्माण के लिए नहीं कर सकता। वैसे इस मसले पर अभी तक नाबार्ड से भी चर्चा नहीं हो सकी है तो विधायक प्राथमिकता में सरकार इसे कैसे डालेगी यह किसी की समझ में नहीं आ रहा है। विधायक प्राथमिकता योजना में कुल 6 स्कीमें दी जाती हैं, जिसके साथ सातवीं स्कीम सुरंग की डालने का एलान किया गया है।
अब बात यह भी है कि हमीरपुर, ऊना या फिर कांगड़ा में कहां पर सुरंग बन सकती है।
क्योंकि वहां इसका स्कोप उस तरह का नहीं है लिहाजा वहां के विधायक अपनी प्राथमिकता में इसे कैसे शुमार करेंगे और कर भी दिया तो वायबिलिटी कैसे बनेगी। ऐसे में सरकार का यह एलान धरा का धरा रह जाएगा। सूत्र बताते हैं कि अधिकारियों के स्तर पर इस मामले को लेकर चर्चा की गई है लेकिन यह उनकी भी समझ से परे है कि सभी विधायकों को उनकी प्राथमिकता में सुरंग प्रोजेक्टों को कैसे शामिल किया जाएगा।
उनका पूरा कैसे किया जाएगा। अभी छोटी-छोटी पेयजल स्कीमों, सिंचाई स्कीमों या सड़कों आदि के प्रोजेक्टों की डीपीआर तो विधायक प्राथमिकता में बनती नहीं है। सालों तक यह डीपीआर लटकी हैं, वहीं इनके लिए पर्याप्त पैसा नहीं होता तो नाबार्ड से सुरंग के लिए पैसा कहां से लाया जाएगा।
सुरंग बनाने को राज्य के पास नहीं वित्तीय साधन
सालों बाद में हिमाचल में केवल एक सुरंग अटल टनल के नाम से बनकर तैयार हुई है, जिसकी जरूरत भी थी लेकिन इसमें केंद्र सरकार ने वित्तीय मदद दी। अब राज्य को अपने दम पर ऐसी सुरंग बनानी हों तो वो कहां से जायज है, जबकि सरकार के पास इतने वित्तीय साधन ही नहीं है। इनके लिए वह कर्जा भी कितना लेगी क्योंकि सभी विधायक अपनी प्राथमिकता में एलान के मुताबिक चाहेंगे कि एक प्रोजेक्ट उनका भी डले। ऐसे में सरकार क्या करेगी इसे सोचकर अधिकारी भी परेशान हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने बजट भाषण के जवाब में इस तरह का एलान कर रखा है, जो यहां अधिकारियों के ही गले नहीं उतर पा रहा।