चंद्रमोहन चौहान। ऊना
स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन द्वारा कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए जिला मुख्यालय के विभिन्न बाजारों में कारोबारियों की सैंपलिंग को लेकर छेड़े गए अभियान को वीरवार उस वक्त धक्का लग गया, जब कारोबारियों को अनिवार्य रूप से कोविड-19 की टेस्टिंग करवाने के निर्देश देने गई एसडीएम डॉ. निधि पटेल के सामने ही कारोबारियों ने हंगामा खड़ा कर दिया।
मेन बाजार में पहुंची एसडीएम ने सभी दुकानदारों से अनिवार्य रूप में कोविड-19 का टेस्ट करवाने की बात कही। एसडीएम के इन्हीं निर्देशों के बाद माहौल बिगड़ गया और कारोबारियों ने खुलकर प्रशासनिक आदेशों को तुगलकी फरमान करार देना शुरू कर दिया। कारोबारियों का कहना है कि जो व्यापारी स्वेच्छा से सैंपल देना चाहे, केवल उन्हीं की टेस्टिंग करवाई जाए। इस दौरान व्यापारियों ने दुकानें बंद करनी शुरू कर दीं।
कारोबारियों का कहना था कि सभी कारोबारियों के सैंपल करवाने का निर्णय गलत है केवल मात्र उन दुकानदारों के ही सैंपल करवाए जाएं, जिनमें कोविड-19 के लक्षण हैं या जो स्वेच्छा से सैंपलिंग करवाना चाहता है। सभी के सैंपल करवाने के आदेश सरासर गलत हैं। इससे कारोबारियों का कारोबार बहुत ज्यादा प्रभावित होने वाला है।
देशभर में लगे लंबे लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित कारोबार जगत ही रहा है। अब ऐसे में अगर सैंपलिंग की अनिवार्यता कारोबारियों पर थोपी जाती है तो उन्हें और भी ज्यादा नुकसान होने का अंदेशा है। इस दौरान व्यापारियों ने अपनी दुकानें भी कुछ देर के लिए बंद कर दीं और वित्तायोग के अध्यक्ष सतपाल सत्ती से मुलाक़ात कर सारे मामले से अवगत करवाया।
एसडीएम ऊना निधि पटेल का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम के लिए एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान छेड़ा गया है। संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए सभी लोगों की सैंपलिंग करवाना अनिवार्य है। इसी से संक्रमित लोग सामने आएंगे और एहतियात बरतने में मदद मिलेगी।
एसडीएम का कहना है कि वर्तमान में बिना लक्षणों के कई मरीज सामने आ रहे हैं। यही कारण है कि जिला प्रशासन द्वारा व्यापक स्तर पर कारोबारियों के सैंपल अनिवार्य रूप से करवाने का फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि अगर व्यापारी प्रशासन के आदेशों की अवहेलना करेंगे तो उन पर कार्रवाई भी की जा सकती है।