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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, डीसी ऊना, सचिव पर्यावरण सहित 2 और को दिए निर्देश
चंद्रमोहन चौहान/राजीव भनोट। ऊना
जिला ऊना में स्वां नदी में रेत का अवैध खनन व्यापाक मुद्दा बनता रहा है। स्वां नदी में दिन व रात को मशीनी पंजों से खनन का खेल खेला जाता है। ऐसे में राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल की प्रिंसिपल बेंच ने इस मामले में प्राप्त एक शिकायत पर आदेश जारी करते हुए पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जसवीर सिंह की अध्यक्षता में एक 5 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है, जो स्वां नदी का दौरा कर पर्यावरण को हो रहेनुकसान की स्वतंत्र रिपोर्ट तैयार करेगी और ये रिपोर्ट ट्रिब्यूनल को दी जाएगी।
हिमाचल के अमनदीप ग्रीन ट्रिब्यूनल की कोर्ट नंबर एक में 57/2021 के तहत शिकायत दी थी, जिस पर 2 मार्च को सुनवाई करते हुए ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरपर्सन न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल, न्यायाधीश शियो कुमार सिंह, एक्सपर्ट सदस्य नवीन नंदा की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कड़े निर्देश जारी किए हैं। अब स्वां नदी में हो रहे रेत के खनन पर हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय समीति जमीनी रिपोर्ट तैयार करेगी।
इस मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोडल एजेंसी बनाया गया है, जबकि कमेटी को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हिमाचल व जिला ऊना के जिलाधीश हरसंभव मदद प्रदान करेंगे। कमेटी को ये भी स्वत्रंता दी गई है कि वे चाहे तो किसी संस्था, एक्सपर्ट या व्यक्तिगत सहायता भी ले सकते हैं। इस 5 सदस्यीय कमेटी में पूर्व न्यायाधीश जसवीर सिंह के अलावा केंद्रीय सोयल व वाटर कंजर्वेशन देहरादून, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी, हिमालयन फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीच्यूट शिमला को सदस्य बनाया गया है, जबकि इस कमेटी के लिए पर्यावरण वन एवं मौसम परिवर्तन मंत्रालय के चंडीगढ़ स्थित क्षेत्रीय अधिकारी को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
इस मामले में शिकायतकर्ता अमनदीप को पेपर्ज का एक सेट देना होगा। इसके अलावा अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर शपथ पत्र देना होगा। इस मामले में अगली तारीख 5 मई तय की गई है, जब ग्रीन ट्रिब्यूनल आगे की कार्रवाई ग्राऊंड रिपोर्ट के बाद करेगा।
ये है शिकायत
शिकायतकर्ता अमनदीप ने ग्रीन ट्रिब्यूनल के सामने दिए मामले में कहा है कि स्वां नदी का 922 करोड़ की लगात से तटीकरण हो रहा है, जिसमें 73 सहायक नदियां शामिल हैं और यह जनता का पैसा इसलिए लग रहा है, ताकि लोगों की कीमती भूमि कृषि योग्य बन सके और नजदीक के गांव तबाही से बच सकें, लेकिन अब इस पैसे का नुकसान रेत माफिया अवैध खनन से कर रहा है।
शिकायत में राजनीतिक संरक्षण की बात कही गई है, वहीं अवैज्ञानिक ढंग से खनन करने और जिला प्रशासन की नाक व आंखों के तले खतरा पैदा होने की बात कही गई है। पर्यावरण को नुक्सान के साथ-साथ पूरे प्रोजेक्ट को नुकसान होने का अंदेशा है।
वहीं ट्रक, टिप्पर ओवरलोड होकर सड़कों का भी नुकसान कर रहे हैं। ऐेसे में मीडिया रिपोर्ट का हवाला देकर शिकायतकर्ता ने ग्रीन ट्रिब्यूनल से कार्रवाई करने का आग्रह किया, जिस पर ये आदेश आए हैं।