राजीव भनोट : ऊना।
केंद्रीय राज्य जल शक्ति मंत्री प्रह्लाद पटेल अपने हिमाचल दौरे के अंतिम दिन व्यवस्थाओं से उखड़े नजर आए और उन्होंने खूब खरी-खोटी भी सुनाई। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल को हमीरपुर से ऊना के लिए आना था। हमीरपुर से जब मंत्री ऊना के लिए चले तो ऊना व हमीरपुर के बॉर्डर बड़सर पर आकर उन्हें अधिकारियों ने कहा कि सर गाड़ी बदलिए, बस इतना मंत्री ने सुना और उनका पारा चढ़ गया कि आखिर कुछ घंटों के सफर के बाद गाड़ी क्यों बदलनी? न गाड़ी खराब हुई, न गाड़ी में कोई कमी है तो फिर ऐसा क्यों। अफसरों ने भी व्यवस्था के हिसाब से आग्रह कर दिया कि आगे के लिए दूसरी गाड़ी ही है। यही गाड़ी आपको चंडीगढ़ तक लेकर जाएगी।
मंत्री ने अधिकारियों की खूब क्लास वहां ली।
इस दौरान मंत्री का परिवार भी साथ था और मंत्री का आगबबूला होना देखते ही बनता था, जैसे-तैसे मंत्री एक गाड़ी से उतरकर दूसरी गाड़ी में बैठे और आगे का सफर शुरू किया, वहीं से मंत्री का मूड उखड़ गया था। आगे क्या होने वाला है, इसका अंदाजा यहीं से लग गया था। एक तो मंत्री पहले से लेट, आगे व्यवस्थाएं ठीक नहीं हुई तो मंत्री का पारा चढ़ता गया। केंद्रीय मंत्री के लिए जो पायलट लगाई गई वह भी कुछ धीमे चल रही थी और रूट भी मंत्री को लंबा डाल दिया गया फूड पार्क तक पहुंचने के लिए।
यहीं मंत्री ने अपने परिचित भाजपा कार्यकर्ता धर्मेंद्र राणा के घर जाना था। मंत्री को चंडीगढ़ से फ्लाइट भी लेनी थी इसलिए अधिक देर होता देख उनका पारा और तेज हुआ। जैसे ही मंत्री भाजपा नेता धर्मेंद्र राणा के घर सिंगा में पहुंचे, उन्होंने सीधे पुलिस कर्मियों की क्लास लगा दी और पूछा कि एक तो वह लंबे रूट से क्यों लेकर आए? पायलट स्लो क्यों चल रही थी और अब यहां से पंजाब बॉर्डर कितनी देर में पहुंचेंगे? पुलिसकर्मी मंत्री के गुस्से के आगे कोई जवाब नहीं दे पाए तो मंत्री और गर्म दिखे। उन्होंने कहा कि मैं कोई यहां भागदौड़ करने नहीं आया हूं। अगर आप देर करवाओगे तो निरीक्षण क्या करूंगा। अब तो बस हाथ लगाने वाली बात होगी।
मंत्री के कड़े तेवर देखते हुए वहां मौजूद भाजपा नेता भी इधर-उधर देखते नजर आए और क्योंकि मंत्री जी का मूड उखड़ चुका था इसलिए उन्होंने भाजपा के कार्यकर्ता धर्मेंद्र राणा का स्वागत स्वीकार किया और कुछ ही मिनटों में वहां से फूड पार्क के लिए निकल गए। वहां भी आग्रह के बाद कुछ मिनटों के लिए पार्क के अंदर गए और खड़े-खड़े अपना संबोधन दिया और चंडीगढ़ के लिए निकल गए। आगे जाकर पंजाब में भी उन्हें पायलट देरी से मिलने के कारण जाम में फंसना पड़ा। मंत्री इस व्यवस्था से काफी नाराज दिखे। यह कहा जा सकता है कि अंतिम दिन केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल व्यवस्थाओं से खुश नहीं दिखे और उनके परिजन भी खफा दिखे।
जीएडी ने लगाई थी जिलाधीशों की ड्यूटी
आमतौर पर वीआईपी मूवमेंट के दौरान शिमला से जीएडी द्वारा ही वाहन उपलब्ध करवाया जाता है और एक ही वाहन पुरे टूअर में रहता है, लेकिन इस बार जीएडी ने संबंधित जिलाधीशों को आदेश किए थे कि वे अपने-अपने वाहनों का केंद्रीय मंत्री के लिए प्रबंध करें। इसमें कांगड़ा, हमीरपुर व ऊना के प्रशासन ने अपने-अपने बॉर्डर तक की व्यवस्थाएं गाडिय़ों की संभाली। ऊना से जो गाड़ी दी गई वह चंडीगढ़ तक गई।