शकील कुरैशी : शिमला
हिमाचल प्रदेश में चुनाव के लिए मतदान अब चुनाव आयोग की मतदाता सूची के अनुसार ही हो सकेगा। यहां राज्य चुनाव आयोग की मतदाता सूची नगर निगमों के चुनाव में नहीं चलेगी। अमूमन पहले ऐसा होता था कि नगर निगम के लिए मतदाता अपना मतदान करता था और विधायक चुनने के लिए अपनी पंचायत में वोट डालता था। भविष्य में ऐसा नहीं होगा और नगर निगम शिमला से ही इसकी शुरुआत हो रही है। सूत्रों के अनुसार प्रदेश सरकार ने पुराने नियमों को संशोधित कर दिया है। राज्य चुनाव आयोग ने इन नियमों का संशोधन सरकार के कहने पर किया है, जिसमें तय किया गया है कि नगर निगम शिमला में वही मतदाता मतदान कर सकेंगे जो इस विधानसभा क्षेत्र के मतदाता हैं।
यानी विधायक चुनने के लिए भी जो व्यक्ति अपना वोट शिमला में डालते हैं वहीं वोटर पार्षद के लिए भी वोट डाल सकेंगे। ऐसा नहीं होगा कि कोई व्यक्ति विधायक चुनने के लिए रोहडू, ठियोग या कोटखाई चला जाता है और नगर निगम के लिए शिमला आ जाता है। वर्षों से ऐसा होता रहा है, जिससे नगर निगम शिमला के राजनीतिक समीकरणों पर खासा प्रभाव दिखता रहा है। प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है कि जो जहां का वोटर है वहीं पर मतदान करेगा। इसके लिए केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदाता सूची को ही आधार माना जाएगा और उसी के आधार पर नगर निगम शिमला के लिए मतदान करवाया जाएगा। हाल ही में 9 मार्च को सरकार ने इन नियमों में परिवर्तन किया है। नगर निगम निर्वाचन नियम 2012 में संशोधन हुआ है।
एमसी में मतदान को पंचायत से कटवाना होगा नाम
मतदाता को यदि शिमला नगर निगम में मतदान करना है तो उसे अपना वोट अपनी पंचायत से कटवाना होगा। इसी तरह से प्रदेश के जो दूसरे नगर निगम बने हैं वहां पर भी यही नियम चलेंगे। शिमला में इसलिए इनका ज्यादा प्रभाव है क्योंकि यहां पर निगम का एरिया तीन विस क्षेत्रों में पड़ता है। इसमें एक शिमला शहरी, दूसरा ग्रामीण तो तीसरा कुसुम्पटी विस क्षेत्र आता है। तीनों विधानसभा का काफी एरिया नगर निगम में जोड़ा गया है, जिनका शहरीकरण हो चुका है। यदि कोई व्यक्ति मतदान के लिए झूठी घोषणा करता है और पकड़ा जाता है तो नियमों में प्रावधान किया गया है कि उसे एक साल की सजा होगी। नियम 16 ए के तहत उसे सजा का प्रावधान रखा गया है। नियमों में संशोधन से नगर निगम की सियासत पर प्रभाव पड़ेगा।