शिमला, चंबा को छोड़कर शेष जिलों में फूड इंस्पेक्टर ही नहीं
भूपेंद्र ठाकुर। सोलन : नवरात्र के साथ ही त्यौहारों का सीजन शुरू हो चुका है। इस सीजन में मिठाइयों का भी खूब व्यापार होता है। चांदी कूटने के लिए मिलावटी मिठाइयां बेची जाती हैं। लेकिन हैरत की बात तो यह है कि प्रदेश में मिलावटी मिठाइयों की जांच करने के लिए खाद्य निरीक्षक ही नहीं हैं।
इस समय प्रदेश के 9 जिलों में खाद्य निरीक्षक के पद खाली हैं। शिमला और चंबा को छोड़़कर प्रदेश के किसी भी जिला में स्वास्थ्य निरीक्षक नहीं हैं। इस वजह से कई महीनों से खाद्य पदार्थों के सैंपल तक नहीं भरे गए हैं। ऐसे में बाहरी राज्यों से आने वाली मिलावटी मिठाई लोगों की सेहत बिगाड़ सकती है। 29 सितंबर से नवरात्र मेलों के साथ त्यौहारों का सीजन शुरू हो चुका है और मिठाइयों की भी डिमांड बढ़ गई है। हिमाचल में पंजाब, हरियाणा और यूपी के सहारनपुर से मिठाइयों की सप्लाई आ रही है।
सोलन व शिमला में मिठाई व खोआ की सप्लाई कालका-शिमला ट्रेन के माध्यम से पहुंचती है। ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, कांगड़ा और मंडी में भी बाहरी राज्यों से मिठाइयों की सप्लाई आती है। सिरमौर जिला में सबसे अधिक मिठाई सहारनपुर से आती है। मिलावटी मिठाई का रेट कम होता है इसलिए लोग इसे खूब खरीदते हैं।
जहरीले केमिकल का होता है इस्तेमाल
मिलावटी मिठाई को आकर्षक बनाने के लिए सिंथैटिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। मिठाई में ऐसे जहरीले केमिकल भी मिलाए जाते हैं, ताकि पैक की गई मिठाई कई दिनों तक खराब न हो। इस प्रकार की मिठाई खाने से किडनी, लीवर और हार्ट से संबंधित कई खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं।
फूड सेफ्टी ऑफिसर का प्रशिक्षण जल्द पूरा होने वाला है। इसके बाद सभी जिलों में खाद्य निरीक्षकों की नियुक्ति कर दी जाएगी। —एलडी ठाकुर, अतिरिक्त खाद्य आयुक्त फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट