- यशपाल जयंती के राज्य स्तरीय समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा
- शहीद भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद के साथ किया था काम
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। धर्मशाला : आजादी यूं ही नहीं मिली, इसके लिए लाखों लोगों ने कुर्बानियां दी हैं। युवा पीढ़ी कुर्बानियों को भूलती जा रही है। देश के क्रांतिकारियों ने देश की आजादी के लिए कितनी कुर्बानियां दी हैं, यह देश को याद दिलाने की जरूरत है। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार डीआरडीए सभागार धर्मशाला में राज्य स्तरीय साहित्यकार यशपाल जयंती समारोह की अध्यक्षता करते हुए कही।
शांता कुमार ने कहा कि यशपाल साहित्यकार से पहले महान क्रांतिकारी थे। उन्होंने कहा कि भाषा एवं संस्कृति विभाग को क्रांतिकारी एवं साहित्यकार यशपाल की जीवनी को विस्तृत रूप में देश के सामने लाने का प्रयास करे। शांता ने कहा कि यशपाल की जयंती और कैसे बेहतर ढंग से मनाया जा सके, इस बारे भी विचार करने की जरूरत है। शांता कुमार ने कहा कि क्रांतिकारी यशपाल ने शहीद भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद के साथ काम किया था। उनका जन्म 3 दिसंबर, 1903 को पंजाब के फिरोजपुर में हुआ था। उनके माता-पिता के परिवार और पूर्वजों की एक शाखा हिमाचल के हमीरपुर क्षेत्र के भूम्पल गांव के वासी थे।
यशपाल ने कुछ समय भगत सिंह के साथ नवजवान भारत सभा में सहयोग दिया, फिर 1929 में लाहौर बम फैक्ट्री पर पुलिस के छापे के बाद फरार होकर हिंदुस्तानी समाजसवादी प्रजातंत्र सेना की गतिविधियों में शामिल हो गए। यहीं उनकी मित्रता चंद्रशेखर आजाद से हुई थी। इस अवसर पर क्रांतिकारी एवं साहित्यकार यशपाल के पुत्र आनंद पाल भी विशेष रूप से उपस्थित थे।
इसके साथ विशिष्ठ अतिथि एवं स्थानीय विधायक विशाल नैहरिया ने भाषा और संस्कृति विभाग की सहराना करते हुए कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि राज्य स्तरीय यशपाल जयंती का आयोजन धर्मशाला में कराया जा रहा है और भविष्य में विभाग द्वारा ऐसे ओर कार्यक्रम कांगड़ा जिला और धर्मशाला में आयोजित किए जाएंगे। पूर्व सांसद शांता कुमार ने कहा कि इस बार यशपाल जयंती पर उनके पुत्र की मौजूदगी से यह कार्यक्रम खास हो गया है।
महान क्रांतिकारी व साहित्यकार यशपाल पर बनेगी डॉक्यूमेंट्री
धर्मशाला। अमर शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद के साथ काम कर चुके क्रांतिकारी एवं साहित्यकार यशपाल पर डॉक्यूमेंट्री बनाई जाएगी। इस डॉक्यूमेंट्री का आधार हिस्सा हिमाचल पर आधारित होगा। यह जानकारी क्रांतिकारी एवं साहित्यकार यशपाल की जयंती पर उनके पुत्र आनंद पाल ने धर्मशाला में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह के प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने कहा कि भाषा एवं संस्कृति विभाग यशपाल पर डाक्यूमेंट्री तैयार करें व उनके कार्यक्रमों में न केवल प्रदेश बल्कि प्रदेश के बाहर से भी कवियों/साहित्यकारों को भी सम्मलित किया जाए।
आनंद पाल ने कहा कि यशपाल की कहानियों में हिमाचल के प्रति ललक रहती थी। आज यहां एक डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई, उसमें हिमाचल का कोई वर्णन नहीं था कि यशपाल का यहां से क्या संबंध रहा है। हम एक डॉक्यूमेंट्री बनाएंगे, उसका आधा हिस्सा उनके हिमाचल से संबंध, उनके पूर्वज कहां से आए थे, कब और कहां रहे थे। यशपाल की कहानियों में हिमाचल की झलकियां और उनके रिश्तेदारों से वार्तालाप, उनके रिश्तेदारों की नजर में यशपाल कैसे थे, यह सब दर्शाया जाएगा।
हिमाचल में यशपाल परिवार के संबंध के बारे में आनंद पाल ने कहा कि हमारा जमीन को लेकर कोई दावा नहीं है, हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि जब हम डॉक्यूमेंट्री बनाएं तो यशपाल के हिमाचल के संबंध को सही ढंग से दर्शा सकें कि वाकई में वो यहां रहे थे। हम हिमाचल के संबंध में यह जानना चाहते हैं कि हमारे पूर्वज जहां रहे हैं और वहां की मिट्टी हम साथ ले जा सकें, बस हम यही चाहते हैं।