राजेश मंढोत्रा। शिमला
हिमाचल समेत कई राज्यों में सिर्फ अब मेडिकल सेक्टर ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र बचा था, जहां डॉक्टरों के खाली पद उपलब्ध थे। लेकिन अब इस क्षेत्र में भी बहुत बड़ा बदलाव आने वाला है। सिर्फ हिमाचल की बात करें तो मेडिकल अफसरों के लिए अब जीरो वैकेंसी की स्थिति है। इस कारण राज्य सरकार को वॉक इन इंटरव्यू के जरिए होने वाले डॉक्टरों की भर्ती रोकनी पड़ी है। अब सिर्फ आईजीएमसी और टांडा से पास आउट बचे कुछ डॉक्टरों के लिए ही यह विकल्प मौजूद रहेगा। इसके बाद इसे पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि राज्य में मेडिकल अफसरों के स्वीकृत पद 2431 हैं और इनके अंगेस्ट 2356 डॉक्टर सेवाएं दे रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट के अनुसार 75 पदों की वैकेंसी शो हो रही है, जबकि स्वास्थ्य सचिव कहते हैं कि यह वैकेंसी इतनी नहीं है। सिर्फ 30 से 40 पद खाली बचे हैं। इन्हें भी आईजीएमसी और टांडा से पासआउट एमबीबीएस से भर दिया जाएगा। करीब 30 पदों के लिए वॉक इन इंटरव्यू होंगे और उसके बाद यह प्रक्रिया भी बंद हो जाएगी। इसके इसके बाद मेडिकल अफसरों के लिए हिमाचल में जीरो वैकेंसी की स्थिति हो जाएगी। जहां तक विशेषज्ञ डॉक्टरों की बात है तो वर्तमान में 265 डॉक्टर सेवाएं दे रहे हैं। ये वे डॉक्टर हैं जो फील्ड अस्पतालों में निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं कैडर में काम कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेजों में सेवाएं दे रहे फैकल्टी मेंबर इसमें शामिल नहीं हैं, जबकि इन कॉलेजों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या कहीं ज्यादा है।
राज्य में नए मेडिकल कॉलेज शुरू होने के बाद पास आउट एमबीबीएस डॉक्टरों की संख्या भी बढ़ी है। राज्य में सरकारी क्षेत्र में ही आईजीएमसी और टांडा के अलावा नेरचौक, हमीरपुर, नाहन और चंबा में नए मेडिकल कॉलेज खुले हैं। निजी क्षेत्र में भी एमएमयू मेडिकल कॉलेज हिमाचल में है और अब एम्स भी बिलासपुर में आ गया है। ऐसे में हर साल निकलने वाले नए डॉक्टरों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का नहीं है अलग कैडर
हैरानी की बात यह है कि हिमाचल में विशेषज्ञ डॉक्टरों का अलग कैडर अभी बना ही नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कहते हैं कि डॉक्टरों के आपसी झगड़े और सहमति न होने के कारण यह स्थिति है। हालांकि अब जिस तरह से आने वाले दिनों में पीजी डॉक्टर ज्यादा भर्ती होंगे, तो संभव है कि नया कैडर बनाने का फैसला हो जाए। कैडर अलग न होने के कारण ही विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए सृजित पद भी अलग से नहीं हैं।
क्या कहते हैं स्वास्थ्य सचिव अमिताभ अवस्थी?
राज्य के स्वास्थ्य सचिव अमिताभ अवस्थी का कहना है कि राज्य में खुले मेडिकल कॉलेजों के कारण अब वैकेंसी खत्म होने वाली है। नए पास आउट होने वाले डॉक्टरों को रोजगार के लिए अब प्रदेश से बाहर के विकल्प भी देखने होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार डॉक्टरों के सभी रिक्त पदों को भरना चाहती है ताकि लोगों को उनके घर के नजदीक स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें और इसके कारण अब विशेषज्ञ डॉक्टरों की भर्ती भी ज्यादा होगी।