स्कूलों में खाना बनाने से लेकर मल्टी टास्क करते हैं ये कर्मचारी
स्कूल बंद होने के चलते पड़ रही वेतन पर मार
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला
राज्य के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील के तहत रखे गए करीब 20 हजार कर्मचारियों पर कोरोना की मार पड़ी है। इन कर्मचारियों को पिछले तीन माह वेतन नहीं मिला है और ऐसे में अब कर्मचारियों को परिवार का गुजारा करना भी मुश्किल हो गया है। जानकारी के मुताबिक प्रारंभिक शिक्षा विभाग को इसके लिए केंद्र से बजट नहीं मिला है इस कारण स्कूलों को भी फंड नहीं दिया जा सका है। इस कारण मिड डे मील कर्मियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि वे स्कूलों में मल्टी टास्क वर्कर के तौर पर काम करते हैं। पहले ही इन कर्मचारियों का वेतन बेहद कम है। इन्हें प्रतिमाह 1300 रूपए वेतन मिल रहा है। इतने कम वेतन में परिवार का गुजारा करना पहले ही कठिन है और अब समय पर वेतन न मिलने से उन्हें दोगुनी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
शिक्षा विभाग का कहना है कि बजट न मिलने के चलते इसमें देरी हुई है। लेकिन अब केंद्र से इसके लिए बजट मिल चुका है और एक दो दिन में इन कर्मियों का वेतन जारी कर दिया जाएगा। गौर रहे कि सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं तक मिड डे मिल कर्मचारी तैनात किए गए हैं। इनकी नियुक्ति अस्थायी तौर पर की गई है। खाना बनाने के साथ-साथ स्कूलों में ये कर्मचारी अन्य काम भी निपटा देते हैं जिसमें किताबों के आबंटन का काम सहित अन्य कार्य शामिल है। कर्मचारियों की यह भी शिकायत है कि उन्हें केवल दस महीने का वेतन दिया जा रहा है। 25 बच्चों से कम संख्या होने पर नौकरी से निकाला जा रहा है। इसके साथ ही इन कर्मचारियों को ईपीएफ, मेडिकल छुट्टियों की सुविधा भी नहीं है और अब इन्हें वेतन भी समय पर नही मिल रहा।
केंद्र से बजट न मिलने के चलते वेतन मे देरी हुई है लेकिन एक दो दिनों के भीतर सभी कर्मचारियों का वेतन जारी कर दिया जाएगा।
हितेश आजाद
ज्वाइंट डायरेक्टर, प्रारंभिक शिक्षा विभाग