शिमला:
राज्य सरकार डेंटल डॉक्टरों को नौकरी के अवसर बढ़ाने के लिए 230 नए पदों का सृजन करेगी। ये पद पीएचसी में दिए जाएंगे। विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान ये जानकारी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दी। वह कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सुक्खू के सवाल का जवाब दे रहे थे।
जयराम ठाकुर ने बताया कि डेंटल काउंसिल ऑफ हिमाचल प्रदेश में 2819 बीडीएस डॉक्टरों का पंजीकरण अब तक हुआ है। प्रदेश में हर वर्ष 355 बीडीएस डॉक्टर पास आउट होते हैं। प्रदेश में डेंटल डॉक्टरों के कुल 342 पद सृजित हैं और इनमें से 332 पद भरे हुए हैं और खाली केवल 13 हैं। मुख्यमंत्री भी इस मामले में काफी चिंतित नजर आए और कहा कि डेंटल डॉक्टरों की परेशानी को वह समझ रहे हैं। नीट का पेपर क्लीयर करने के बाद ही उनका चयन बीडीएस के लिए होता है और वर्तमान समय में उनके समक्ष भी प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है।
सीएम ने कहा कि निजी क्षेत्र में भी डेंटल डॉक्टरों के लिए कम अवसर हैं जोकि सरकार के समक्ष भी यह एक चुनौती है, लेकिन फिलहाल 230 डेंटल डॉक्टरों के पद सृजित करने का मामला सरकार के विचाराधीन है। सुखविंद्र सुक्खू ने सोमवार को विधानसभा में डेंटल डॉक्टरों का मामला उठाया। उन्होंने सवाल किया कि दो वर्षों में कितने डॉक्टर बीडीएस काउंसिल ऑफ हिमाचल प्रदेश में पंजीकृत हुए और उनके लिए सरकार की क्या नीति है।
सरकारी व निजी कॉलेजों से निकलने वाले कितने डॉक्टरों को सरकरी या गैर-सरकारी क्षेत्र में नौकरी मिली है। उनका कहना था कि सरकार बीडीएस डॉक्टरों के मामले में गंभीर नहीं है और मात्र सात प्रतिशत डॉक्टरों को ही रोजगार मिल रहा है।
बिंदल और सुक्खू ने दिए सुझाव
भाजपा विधायक डॉ. राजीव बिंदल ने सुझाव दिया कि मेडिकल कॉलेजों में बीडीएस डॉक्टरों के लिए एक वर्ष का हॉस्टिपल एडमिनिस्ट्रिेशन कोर्स शुरू करके डेंटल डॉक्टरों को इस लायक बनाया जा सकता है। 30-30 डेंटल डॉक्टरों ही बैच ट्रेंड कर दें तो बाहर इनकी डिमांड है। दूसरी ओर कांग्रेस विधायक सुक्खू ने मेडिकल कॉलेजों की डेंटल फेकल्टी की रिटायरमेेंट ऐज 68 वर्ष से घटा कर 58 वर्ष करने की मांग की ताकि और डॉक्टरों को रोजगार मिले। सीएम ने बिंदल के सुझाव को विचार के लिए ले लिया, जबकि सुक्खू के सुझाव को ये कहते हुए खारिज कर दिया कि इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।