सिटी रिपोर्टर,शिमला
शिमला शहर में इन दिनों मानसून की बारिश खूब कहर भरपा रही हैं। बारिश के चलते जगह-जगह पानी भर रहा हैं। तो वहीं शहर में खतरा बने पेड़ भी खूब कहर भरपा रहे हैं। न्यू शिमला के पीसीएस में पोलूशन कंट्रोल बोर्ड के पास एक सूखा पेड़ गिर गया हैं। जिससे सड़क पर लगी तीन गाडिय़ों को काफी नुकसान पहुंचा हैं। स्थानिय लोगों की माने तो यह असुरक्षित भवन काफी सालों से लोगों के लिए खतरा बना हुआ था। जिसकी एमसी और हिमुडा कॉलोनी को कई बार सूचित किया गया था। कि यह पेड़ बहुत टाइम से गिरने गिरने की कगार पर था।
स्थानिय रोहित व मित्र देव शर्मा, अजय ठाकुर की गाडिय़ा पेड़ के निचे भी आई हैं। इनका कहना यह है कि प्रशासन को समय- समय पर इस असुरक्षित पेंड के बारे में जानकारी दी गई थी। लेकिन इस पेड़ को समय से नहीं काटा गया। जिसका नुकसान उन्हें उठाना पड़ रहा हैं। स्थानिय लोगों की माने तो यह पेड लगभग ३ सालों से खतरा बना हुआ था। ऐसे में यह हैरानी वाली बात यह है कि इस पेड़ पर तीन सालों से प्रशासन ने क्यू कोई उचित कदम नहीं उठाया। लोगों का कहना है कि यह हादसा प्रशासन की लापरवाही से हुआ हैं। पेड गिरने से हालांकि किसी तरह की जान की हानी नहीं हुई है लेकिन तीन गाडिय़ां क्षतिग्रस्त हुई है। जिसमें की तीनों गाडिय़ों को काफ ी नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा वार्ड की पुर्व पार्षद की रिनू चौहान की माने तो यह पेड काफी बड़ा था। सिधा पेंड था किसी को कोई खतरा नहीं था। बारिश के चलते अचानक पेड़ गिर गया और साथ लगी गाडिय़ों को नुकसान हुआ हैं।
Shimla
यू तो शिमला में हर साल बरसात से पहले असुरक्षित पेड़ों का चयन किया जाता हैं। उन्हें बरसात से पहले काटा जाता हैं। वर्तमान की बात करे तो शिमला में 250 से ज्यादा खतरनाक पेड़ कभी भी शिमला शहरवासियों के घरों पर कहर बनकर टूट सकते हैं। भारी बारिश को देखते हुए शहरवासी इन्हें काटने के लिए आवेदन तो कर रहे हैं । लेकिन जो कमेटी इन्हें काटने की मंजूरी देती है। वह १७ जून को भंग हो चुकी है। अब नगर निगम चुनाव होने के बाद ही नई कमेटी बन पाएगी। लोग खतरनाक पेड़ों को कटवाने के लिए वन विभाग और नगर निगम कार्यालय से लेकर एसडीएम दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं। वन विभाग के पास आए दिन पेड़ कटान के लिए आधा दर्जन आवेदन पहुंच रहे हैं। शहर में खतरनाक पेड़ों को चिन्हित करने की जिम्मेदारी नगर निगम की ट्री कमेटी की है। पेड़ चिन्हित करने के बाद यह कमेटी सरकार की सब कमेटी से इस पर अंतिम मंजूरी लेती है।
ज्यादातर आवेदन लंबित
महापौर की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में एक पार्षद सदस्य, वन विभाग के डीएफओ, नगर निगम और हॉर्टीकल्चर के अधिकारी शामिल होते हैं। महापौर और पार्षदों का कार्यकाल खत्म होने के कारण कमेटी १७ जून को भंग हो चुकी है। इसके बाद आए ज्यादातर आवेदन अब लंबित पड़ गए हैं। बरसात शुरू होते ही आवेदनों की संख्या भी बढऩे लगी है। लेकिन कमेटी न होने से इन्हें काटने की मंजूरी नहीं मिल रही। विकासनगर से पूर्व पार्षद रचना भारद्वाज और कसुम्पटी से पूर्व पार्षद राकेश चौहान ने कहा कि उनके वार्ड में कई खतरनाक पेड़ मंडरा रहे हैं। मेयर से दौरा करवाने के बावजूद नहीं काटा गया। यदि इन्हें नहीं काटा गया तो भारी बारिश से यह ढह सकते हैं। मज्याठ पार्षद दिवाकर देव शर्मा ने कहा कि सदन में मामला उठाने के बावजूद उनके वार्ड में चार खतरनाक पेड़ नहीं काटे जा रहे। इससे घरों को खतरा है।
वन विभाग का कहना है कि यदि किसी के घर के पास पेड़ गिरने वाला है तो वह एसडीएम के पास इसे कटवाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। कई लोग आवेदन कर भी रहे हैं। एसडीएम सेक्शन १३३ के तहत इन्हें काटने की अनुमति देते हैं। डीएफओ शिमला शहरी अनिता भारद्वाज ने बताया कि एसडीएम की अनुमति के बाद कई लोगों को खतरनाक पेड़ काटने की मंजूरी दी जा रही है। शहरवासी परेशान न हो, जो पेड़ बेहद खतरनाक हो गए हैं, उन्हें विभाग या प्रशासन की जानकारी में ला सकते हैं। इनका तुरंत मौके पर जाकर निरीक्षण किया जाएगा।
हर साल होता है नुकसान
बीते साल बरसात और इस बर्फबारी के सीजन में भी दर्जनों हरे पेड़ ढहने से शहर में सार्वजनिक व निजी संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा था। बीते साल बरसात में नाभा, टुटीकंडी, कैथू, विकासनगर क्षेत्र में निजी भवनों पर पेड़ ढह गए थे।