राजेश कुमार। धर्मशाला : पंजाब के पठानकोट एयरबेस पर 2 जनवरी 2016 को हुए आतंकी हमले को चार साल बीत चुके हैं। इस आतंकी हमले में शहीद हुए वीर जवानों में जिला कांगड़ा के सियूंह गांव के हवलदार संजीवन राणा भी थे, जिन्होंने आतंकियों से लड़ते हुए शहादत का जाम पिया था।
संजीवन राणा की शहादत पर श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे राजनेताओं ने घोषणाएं तो की थीं, लेकिन चार साल का लंबा अरसा बीतने के बावजूद उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अब तो शहीद के परिवार सदस्य सरकार से सवाल करने को मजबूर हैं कि सरकार आखिर कब धरातल पर उतरेंगी शहीद के नाम की घोषणाएं, उतरेंगी भी या घोषणाएं, घोषणाओं तक ही सीमित रहेंगी। शहीद के परिवार सदस्यों का कहना है कि न तो शहीद के नाम पर छत्तड़ी कॉलेज का नामकरण किया गया है और न ही शहीद की याद में पार्क बना और न ही उसमें प्रतिमा लगाने की बात सिरे चढ़ी।
यही नहीं उस समय तत्कालीन सरकार ने शहीद के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की बात भी कही थी, उस पर भी अभी कोई गौर नहीं किया गया है। शहीद के परिवार में पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा है, बेटा सेना में भर्ती हो चुका है, जबकि एक बेटी पढ़ाई कर रही है और दूसरी कंप्यूटर कोर्स कर रही है। हालांकि परिवार ने एक बेटी को सरकारी नौकरी के लिए प्रयास किए, लेकिन अभी तक नौकरी नहीं मिल पाई है।
शमशानघाट को जीएस बाली ने दिए थे 3 लाख
शहीद की अंतिम यात्रा में शामिल होने पहुंचे तत्कालीन परिवहन मंत्री जीएस बाली ने शमशानघाट की बदहाली और रास्ते की दुर्दशा को देखते हुए उसी समय शमशानघाट निर्माण के लिए 3 लाख रुपये देने की घोषणा की थी। शमशानघाट के लिए आया पैसा साथ लगती पंचायत को चला गया। शहीद के परिवार सदस्यों को मलाल है कि शमशानघाट भी सही ढंग से नहीं बन पाया है, जबकि इसकी सुविधा सभी को मिलनी थी।
बस स्टॉप के बोर्ड से मिटा शहीद का नाम
शहीद संजीवन राणा के गांव में बसें नहीं रुकती थी, जिस पर परिवहन निगम द्वारा सियूंह में बस स्टॉप बनाकर वहां शहीद संजीवन राणा बस स्टॉप का बोर्ड लगाया था, लेकिन वर्तमान में आलम यह है कि उक्त बोर्ड से शहीद का नाम ही मिट चुका है, बस नजर आता है तो बस स्टॉप। ऐसे में शहीद के परिजनों में सरकार के प्रति रोष पनपना भी लाजमी है।
शांता ने ट्यूबवेल और हैंडपंप को दी थी राशि
पूर्व सांसद शांता कुमार ने शहीद के नाम पर टयूबवेल और हैंडपंप लगाने के लिए राशि स्वीकृत की थी, लेकिन जमीन उपलब्ध न होने के चलते उस पर भी काम नहीं हो पाया है। पंचायत का कहना है कि भूमि उपलब्ध न होने के चलते यह कार्य नहीं हो पा रहा है। पंचायत का दावा है कि इस मामले को पूर्व में एसडीएम धर्मशाला के समक्ष भी उठाया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।