- कांगड़ा शहद निकालने की ट्रेनिंग लेंगे 6 जिलों के मौनपालक
- उद्यान विभाग को 60 साल बाद मिला अपना भवन, खोली में तीन मंजिला बिल्डिंग 22 बी-कीपर्ज के नाम
- कांगड़ा, चंबा, ऊना, हमीरपुर, कुल्लू, चंबा व लाहुल के फार्मर्ज के आए अच्छे दिन
- नोर्थ जोन में कुल 888 मीट्रिक टन है शहद की सालाना पैदावार
- हिमाचल का 80 फीसदी हनी होता है सबसे बड़े जिला में पैदा
जीवन ऋषि, धर्मशाला
आखिर नोर्थ जोन के हजारों बी-कीपर्ज को करीब 60 साल बाद किसी सरकार ने बड़ी राहत दी है। कांगड़ा हलके के तहत खोली गांव में हिमाचल के 6 जिलों के फार्मर्ज के लिए उद्यान विभाग का अपना भवन मिल गया है। तीन मंजिला इस भवन पर 97. 68 लाख रुपए खर्च हुए हैं। इस आफिस में 10 कमरे हैं। इसके अलावा बागबानों के लिए ट्रेनिंग हाल भी है। डिप्टी डायरेक्टर हार्टीकल्चर डा कमलशील नेगी ने बताया कि इस एमएमएस (सब्जेक्ट मैटर स्पेशलिस्ट) आफिस का सबसे बड़ा फायदा फार्मर्ज की ट्रेनिंग में होगा।
डा नेगी ने बताया कि कई दशकों से किराए के भवन में इस तरह का महत्वपूर्ण आफिस चलने से नोर्थ जोन के 2200 रजिस्टर्ड मौनपालकों को काफी दिक्कत होती थी। ट्रेनिंग के लिए इधर-उधर स्थान तय करने में कठिनाई होती थी। नोर्थ जोन के 6 जिलों में सालाना कुल 888 मीट्रिक टन शहद होता है। अकेले कांगड़ा में ही 700 मीट्रिक टन शहद निकल जाता है। यही कारण है कि कांगड़ा में इस आफिस भवन के कई मायने हैं।
साल 2018-19 में इस आफिस का काम शुरू हुआ था, जो 2022-23 में पूरा हुआ है। इस बारे में किसान परिवार से संबंध रखने वाले विधायक पवन काजल कहते हैं कि इस आफिस भवन को पूरा करवाना उनका सपना था,जिसे प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने साकार किया है।
विदेशों तक है डिमांड
नोर्थ जोन में पाए जाने वाले शहद की विदेशों तक डिमांड है। इसमें मल्टी फ्लोरा की दुनिया भर में मांग रहती है। यह कई फूलों से मिक्स होकर बनता है। इसके अलावा चंबा में होने वाला छिछड़ी का शहद भी खूब लोकप्रिय है। लीची, सफेदा, पहाड़ी किक्कर की भी खूब डिमांड रहती है।
पिछले चार साल में सरकार ने तीन करोड़ 76 लाख बी-कीपिंग पर खर्चा है। इस साल दो करोड़ 60 लाख रुपए मिले हैं। कुल 2200 में से 1800 फार्मर्ज कांगड़ा जिला से हैं। खोली में बने नए एसएमएस भवन से हजारों बी-कीपर्ज को फायदा होगा।
डा कमलशील नेगी, डिप्टी डायरेक्टर, हॉर्टिकल्चर