शिमला :
हिमाचल सरकार ने दो शहरों शिमला और मनाली में कचरे से बिजली बनाने का एक नया प्रयोग किया है। इस प्रयोग के तहत कचरे को सूखाकर बिजली बनाने का काम यहां पहली बार हो तो रहा है, लेकिन अब 60 करोड़ के निवेश के बावजूद बिजली नहीं बन पाई है। ये दोनों ही प्रोजेक्ट पीपीपी मोड के हैं।
शिमला में 1.75 मैगावाट क्षमता के संयंत्र के लिए 42 करोड़ तथा मनाली में एक मैगावाट के संयंत्र के लिए 18 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। मनाली में बर्फ से छत गिरने के कारण अभी उसका काम चल रहा है, जबकि एनर्जी प्लांट अभी लगना है। यहां आरडीएफ से यानी कचरा सूखाकर बिजली तैयार की जाएगी। ये काम नेक्स्टजेन कैमिकल प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया है। दूसरी ओर शिमला में वेस्ट टू एनर्जी प्रोजेक्ट एलीफेंटा एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया है। यहां कई तरह की तकनीकी दिक्कतें अब तक आ चुकी हैं। इसलिए बिजली बनाने का काम नियमित रूप से शुरू नहीं हो पाया है।
हालांकि निदेशक शहरी विकास राम कुमार गौतम का कहना है कि बहुत जल्दी इनमें बिजली उत्पादन शुरू हो जाएगा। इधर राज्य सरकार की कोशिश है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रदेश को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए लोगों की सहभागिता सुनिश्चित हो। स्वच्छ भारत मिशन का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के नागरिकों को शौचालय की सुविधा उपलब्ध करवाकर खुले में शौच की प्रथा को पूरी तरह से समाप्त करना, शुष्क शौचालय को फ्लैशिंग शौचालय में परिवर्तित करना, मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करना, आधुनिक और वैज्ञानिक ढंग से ठोस कचरा प्रबंधन सुनिश्चित करना है।
प्रदेश के प्रत्येक शहरी निकायों में एक बेलिंग मशीन स्थापित की जा रही है और अब तक 15 मशीनें लगाई गई हैं। इसके अतिरिक्त 54 सेनिटरी इंसीनरेटर लगाए जा रहे हैं। 40 अन्य शहरी निकायों के लिए कचरे से खाद बनाने के संयत्र स्थापित किए जा रहे हैं। सीमेंट कंपनियों से इन निकायों के ज्वलनशील कचरा ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किए गए हैं।
व्यक्तिगत शौचालय के लिए लें 12 हजार रुपये
इस योजना का लाभ उठाने के लिए स्थानीय शहरी निकायों में रहने वाले वह सभी लोग पात्र होंगे, जिनके पास अपना शौचालय नहीं बना है या उनका शौचालय सीवरेज लाइन से नहीं जुड़ा है। योजना के तहत व्यक्तिगत शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार रुपये की राशि, व्यक्तिगत शौचालय निर्माण घटक के तहत प्रदान की जा रही है। गत दो वर्षों के दौरान इस योजना के तहत 5.51 करोड़ रुपये व्यय कर 5633 व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों का निर्माण किया गया है तथा 1.11 करोड़ की राशि व्यय कर 1198 सार्वजनिक शौचालयों और 370 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया गया है।