शिमला:
ग्लोबल इन्वेस्टर मीट के बाद राज्य में पहली बार बनने वाली इन्वेस्टमेंट प्रमोशन एजेंसी को अब चेयरमैन नहीं, बल्कि सीईओ चलाएगा। ये सीईओ या तो राज्य सरकार का ज्वाइंट सेके्रटरी रैंक से ऊपर का कोई अफसर होगा, या फिर प्राइवेट सेक्टर से लिया जाएगा।
इनका सामान्य कार्यकाल तीन साल रखा गया है। ये प्रावधान उद्योग विभाग द्वारा बनाए गए हिमाचल प्रदेश इन्वेस्टमेंट प्रमोशन एजेंसी बिल 2020 के ड्रॉफ्ट में किए गए हैं। इस ड्रॉफ्ट को समीक्षा के लिए विधि विभाग को भेजा गया था, लेकिन लॉ ने करीब 12 आपत्तियों के साथ इसे लौटा दिया है। इसकी मुख्य वजह ये है कि इसमें मुख्यमंत्री और कैबिनेट का केवल एडवाइजरी रोल रखा गया था, जबकि इनका काम केवल फैसला लेना होता है। उद्योग विभाग ने हिमाचल प्रदेश इन्वेस्टमेंट प्रमोशन एजेंसी बिल 2020 के कुल तीन हिस्से बनाए हुए हैं। इसमें एक गवर्निंग काउंसिल रखी गई जो सीएम की अध्यक्षता में काम करेगी।
इसमें सभी मंत्री और सचिव भी डाले गए हैं, जिसका काम निवेश के लिए सलाह देना होगा। फिर एग्जीक्यूटिव कमेटी मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होगी, जो इन्वेस्टमेंट एजेंसी को सुपरवाइज और गाइड करेगी। जबकि इन्वेस्टमेंट एजेंसी सीईओ की अध्यक्षता में होगी। इनकी नियुक्ति दो तरह से होगी। सरकार से डेपुटेशन के मार्फत या फिर प्राइवेट सेक्टर से। उद्योगों के साथ निवेश के एमओयू या एग्रीमेेंट करने की पावर सीईओ के पास रहेंगी। इस प्रावधान पर भी लॉ ने आपत्ति जताई है।
लॉ ने कहा है कि चीफ मिनिस्टर के लेवल पर एडवाइज नहीं, केवल डिसिजन होगा। संविधान और राज्य सरकार के रूल्स ऑफ बिजनेस में फैसला लेने का अधिकार कैबिनेट का है। इस ड्रॉफ्ट के अनुसार एजेंसी में कोई चेयरपर्सन नहीं होगा, जैसी कि पहले चर्चा थी। उद्योग विभाग ने कहा है कि इससे पहले आंध्रप्रदेश, पंजाब और गोवा भी ऐसी एजेंसियों का गठन कर चुके हैं। लेकिन इन राज्यों में इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड है, जो सारे फैसले लेता है। गौरतलब है कि इस तरह की अथारिटी या एजेंसी बनाने का एलान धर्मशाला में ग्लोबल इन्वेस्टर मीट में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने किया था।
निरस्त करना होगा 2018 का सिंगल विंडो अथारिटी एक्ट
राज्य सरकार को इन्वेस्टमेंट प्रमोशन एजेंसी बनाने के लिए 2018 में पारित किया गया सिंगल विंडो अथारिटी एक्ट को निरस्त करना होगा। ये ड्राफ्ट पूर्व कांग्रेस सरकार के दौरान बना था। फिर वर्तमान सरकार ने इसे आर्डिनेंस के जरिए पारित किया, लेकिन ये लैप्स हो गया। फिर 2018 में बिल लाकर इसे पारित किया गया और राज्यपाल की मंजूरी के बाद ये अब एक्ट बन गया है, लेकिन इसे प्रभावी करने की तिथि सरकार ने अभी अधिसूचित नहीं की है।
अब इसे रिपील करने की तैयारी हो रही है। इसमें प्रावधान था कि निवेश से संबंधित फैसले लेने के लिए एक ही जगह एक अथारिटी के रूप में सिंगल विंडो को शक्तियां दी गई थीं। इसमें संबंधित विभागों के लिए 10 दिन में कमेंट देने का प्रावधान था। लेकिन अब इसे खत्म करना होगा।