सचिन शर्मा। देहरा
सब गोलमाल है भई सब गोलमाल है। जी हां, जिस देश ने कोरोना फैलाया उसी देश का बना हुआ पल्स ऑक्सीमीटर अब हमारी जेब भी खाली करवा रहा है। जिसे जरूरत नहीं होती वह भी खरीद रहा है। हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में कोविड जैसे इस दौर में पीएम नरेंद्र मोदी लोकल फ़ॉर वोकल मुहिम के तहत भारतीय पल्स ऑक्सीमीटर की किल्लत है, तो वहीं कोरोना वायरस फैलाने वाले देश के पल्स ऑक्सीमीटर की कालाबाजारी धड़ल्ले से मार्किट में हो रही है।
हैरानी तो इस बात की है कि मेड इन चाइना का पल्स ऑक्सीमीटर मुह मांगे दामों पर बिक रहा है। वैसे चाइना 50 में 50 हजार की मैन्यूफैक्चरिंग के लिए भी प्रसीद है। जिसके बने पल्स ऑक्सीमीटर बिना किसी प्रिंट रेट के मार्किट में चार गुना अधिक कीमतों पर बिक रहे हैं। अब यहां बड़ा सवाल यह है कि यह काला बाजारी अगर हो रही है तो हिमाचल में यह सप्लाई कहां से आ रही है। कुछ समाजसेवी व राजनीतिक लोग भी सैंकड़ों की संख्या में पल्स ऑक्सीमीटर फ़ोटो खिंचवाने के चक्कर में स्वास्थ्य विभाग को फ्री में दे रहे है। लेकिन सवाल यह भी खड़ा होता है की इतनी ज्यादा संख्या में पल्स ऑक्सीमीटर इनके पास कहां से आ रहे हैं और कहीं कालाबाजारी की बड़ी बजह यह तो नहीं।
वहीं इस मुद्दे पर बोलते हुए देहरा के विधायक होशियार सिंह ने कहा कि उन्होंने भी 30 फिंगर पल्स ऑक्सीमीटर सीएमओ धर्मशाला डॉ गुरदर्शन गुप्ता को दिए है। वहीं अब देहरा विधानसभा क्षेत्र के लोगों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए 100 फिंगर पल्स ऑक्सीमीटर जोकि स्वदेशी हैं और उनके वोलेंटियर्स गांव-गांव जाकर लोगों के स्वास्थ्य की जांच करेंगे। उन्होंने कहा कि चाइना के बने फिंगर पल्स ऑक्सीमीटर बाजार में मुंहमांगे दामों में बिक रहे है इनपर भी रोक लगनी चाहिए। होशियार सिंह ने कहा कि जिस देश ने कोरोना फैलाया उसी देश के फिंगर पल्स ऑक्सीमीटर वह नहीं इस्तेमाल करेंगे।
बाजार से फिंगर पल्स ऑक्सीमीटर मिलना मुश्किल हो गया है। कांगड़ा जिले में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण के बीच अचानक इसकी मांग बढ़ गई है, लेकिन, चीनी वस्तुओं की आपूर्ति ठप होने से इसकी उपलब्धता सीमित हो गई है। यही वजह है कि छह महीने पहले 700 से 1300 रुपये तक में आसानी से मिलने वाला फिंगर पल्स ऑक्सीमीटर फुटकर में कहीं-कहीं लगभग तीन गुना दामों में तीन हजार से 5000₹ तक चोरी छिपे बेचा जा रहा है। वैसे मुंहमांगी कीमत देने पर भी पल्स ऑक्सीमीटर मिलना मुश्किल है। वहीं एसडीएम देहरा व ज्वालामुखी धनबीर ठाकुर ने कहा कि उनके पास ऐसी शिकायत आती है तो वह तुरंत कार्यवाही करेंगे।
दवा कारोबारियों के मुताबिक आमतौर पर फिंगर पल्स ऑक्सीमीटर अस्पतालों की आपूर्ति अस्पतालों तक सीमित थी। बड़े डॉक्टर ऑक्सीमीटर स्टेथो के साथ रखते हैं। अस्पतालों में पांच या कुछ अधिक फिंगर पल्स ऑक्सीमीटर मांग पर भेजे जाते रहे हैं। आम लोगों को न इस बारे में जानकारी थी, न ही लोग इसे खरीदने आते थे। महीने में एक या दो पीस फुटकर में बिक्री होती रही है।
कोरोना संक्रमण काल में स्थितियां बदलीं। लोगों ने सोशल मीडिया पर इसके बारे में जाना तो इसे खरीदने में उनकी रुचि बढ़ी। लॉक डाउन के दौरान ही आम लोगों ने फिंगर पल्स ऑक्सीमीटर की खरीद शुरू की। संक्रमण बढ़ा ऑक्सीमीटर का आमजन में इस्तेमाल बढ़ गया। अब तो दवा बिक्री करने वाले मेडिकल स्टोर संचालक फिंगर पल्स ऑक्सीमीटर मांग रहे हैं।
पहले फिंगर पल्स ऑक्सीमीटर के दाम गुणवत्ता के हिसाब से 700 से 1300 रुपये के बीच थी। सभी चाइना निर्मित थे। अब थोक बाजार में ऑक्सीमीटर है नहीं, करीब एक महीने पहले थोक में इसकी कीमत 1500 से 1700 रुपये तक बोली गई। थोक विक्रेताओं के मुताबिक ऑक्सीमीटर की सप्लाई नहीं है। एक महीने पहले तक थोक बाजार में 1300 रुपये फिंगर पल्स ऑक्सीमीटर उपलब्ध था।
नब्ज-खून में ऑक्सीजन की मात्रा दर्शाता है ऑक्सीमीटर
फिंगर पल्स ऑक्सीमीटर एक छोटी डिवाइस मशीन है। इस मशीन को मरीज की उंगली में फंसाया जाता है। इसकी मदद से मरीज की नब्ज और खून में ऑक्सीजन की मात्रा का पता चलता है। सांस की बीमारियों वाले मरीजों में इसका इस्तेमाल ज्यादा होता है। इससे यह देखा जाता है कि मरीज को अतिरिक्त आक्सीजन की जरूरत है या नहीं। कोरोना संक्रमण काल मेेें इस डिवाइस की उपयोगिता बढ़ गई है। इससे मिली जानकारी परामर्श और उपचार में सहायक होती है।
वहीं देहरा के विधायक होशियार सिंह ने कहा कि कोविड-19 के इस दौर में फिंगर पल्स ऑक्सीमीटर की कालाबाजारी हो रही है। 2000₹ में मिलने वाला फिंगर पल्स ऑक्सीमीटर 5 हजार रुपये में बिक रहा है। जिसपर सरकार तुरंत अंकुश लगाए। वहीं होशियार सिंह ने कहा कि जिस देश ने कोरोना फैलाया उसी देश के बने फिंगर पल्स ऑक्सीमीटर धड़ल्ले से मुंहमांगे दामों पर बिक रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने देश के बने फिंगर पल्स ऑक्सीमीटर व अन्य सामग्री खरीदनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वह भी अपने विधानसभा क्षेत्र में कोविड-19 महामारी से बचाने के लिए स्वदेश में बने उपकरणों के प्रयोग से अपने लोगों के स्वस्थ की जांच करेंगे। जिसके लिए वोलेंटियर्स गांव-गांव जाकर लोगों के स्वास्थ्य की जांच भी करेंगे।