हिमाचल दस्तक ब्यूरो। कुल्लू : कुल्लू जिले का मनाली अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए देश-विदेश में मशहूर है और विश्व पर्यटन मानचित्र में इस खूबसूरत घाटी ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। क्रिसमस और नए साल की पूर्व संध्या पर मनाली नगरी एकाएक पर्यटकों से पैक हो जाती है।
मनाली का राष्ट्र स्तरीय विंटर कार्निवाल पर्यटन और लोक संस्कृति का एक अनूठा संगम है। नए वर्ष के आगमन के बाद विंटर कार्निवल का आयोजन देश-विदेश के पर्यटकों, स्थानीय व देश के विभिन्न राज्यों के लोक कलाकारों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाता है। इस महोत्सव के इतिहास की चर्चा करें, तो मनाली में 1970 के दशक में मनाली की कुछ संस्थाओं और विंटर स्पोट्र्स प्रेमियों ने विंटर कार्निवल की परिकल्पना करके इसके आयोजन की शुरुआत की थी। इसमें अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण एवं संबंधित खेल संस्थान के तत्कालीन निदेशक हरनाम सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
उस समय इसका मुख्य उद्देश्य विंटर स्पोट्र्स को बढ़ावा देना था। कालांतर में कई उतार-चढ़ाव के बावजूद किसी न किसी रूप में इसके आयोजन की परंपरा बनी रही। सीमित संसाधनों और आर्थिक तंगी के बावजूद आयोजकों ने विंटर कार्निवल को जिंदा रखा। पिछले तीन दशकों के दौरान मनाली में पर्यटन उद्योग के अद्भुत विस्तार के साथ ही विंटर कार्निवल के स्वरूप में भी व्यापक विस्तार हुआ है। अब इसमें पर्यटन और लोक संस्कृति के पहलू भी जुड़ चुके हैं और अब यह एक बहुत बड़े सांस्कृतिक आयोजन के रूप में भी जाना जाता है।
उत्सव को विस्तार देने के लिए वर्ष 1999 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने इसका सरकारीकरण किया और इसे राज्य स्तर का दर्जा दिया। इसके बाद विंटर कार्निवल निरंतर आगे बढ़ता गया और वर्ष 2011 में मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने ही इसे राष्ट्र स्तर का दर्जा प्रदान किया। कुल्लू जिला की बहुत ही समृद्ध लोक संस्कृति से संबंधित गतिविधियों को शामिल करके आयोजन समिति ने विंटर कार्निवल को व्यापक सांस्कृतिक स्वरूप प्रदान किया है।
विंटर कार्निवल के शुभारंभ अवसर पर ढुंगरी के हिडिंबा मंदिर से निकलने वाली स्थानीय महिलाओं और देश के विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक दलों की झांकियों से मनाली के मालरोड पर मिनी भारत जैसा नजारा दिखता है। इस उत्सव में विंटर क्वीन और वॉयस ऑफ कार्निवल जैसी स्पर्धाएं हिमाचली प्रतिभाओं को बहुत ही अच्छा मंच प्रदान करती हैं।
इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने
वाली युवतियों और प्रतिभाशाली गायकों को आगे बढऩे के लिए एक बहुत ही अच्छा मंच विंटर कार्निवल के माध्यम से
मिलता है। कुल्लू-मनाली को कुदरत ने जितनी खूबसूरती बख्शी है, उतनी ही समृद्ध और अद्भुत यहां की लोक संस्कृति है। अब विंटर कार्निवल के माध्यम से कुल्लवी लोक संस्कृति का खूब प्रचार-प्रसार हो रहा है। विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक दलों की भागीदारी से विंटर कार्निवल में सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा मिलता है।
पूरी तरह प्लास्टिक मुक्त होगा शरदोत्सव
कुल्लू। राष्ट्र स्तरीय शरदोत्सव इस बार नए स्वरूप में नजर आएगा। इसमें सांस्कृतिक, पर्यटन और विंटर स्पोट्र्स से संबंधित गतिविधियों के अलावा आम लोगों व पर्यटकों को स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण तथा मोटर वाहन अधिनियम के प्रति जागरुक करने पर भी विशेष बल दिया जाएगा। प्रत्येक दिन को एक थीम दिया जाएगा जो लोगों को नशे से दूर रहने, स्वच्छता बना रखने, बेटी बचाने तथा पर्यावरण सरंक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषयों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करेगा।
इस बार कार्निवाल के दौरान पांच हजार पौधे लगाने की भी तैयारी वन विभाग ने की है। शरदोत्सव के दौरान स्वच्छता पर विशेष फोकस किया जाएगा तथा उत्सव को पूरी तरह प्लास्टिक मुक्त बनाने पर जोर दिया जाएगा। इस संबंध में होटल एसोसिएशन और सभी होटलियरों से चर्चा की जाएगी। स्थानीय नगर परिषद ने 25 दिसंबर से ही शहर में तीन शिफ्टों में सफाई आरंभ कर दी और यह व्यवस्था 10 जनवरी तक जारी रहेगी।
उत्सव से एक दिन पहले और समाप्ति के बाद मनाली में सामूहिक सफाई अभियान चलाया जाएगा। बर्फ से लकदक वादियां और भरपूर सर्दी के बीच विंटर कार्निवाल का आयोजन अपने आप में बेशक चुनौतिपूर्ण प्रतीत होता है, लेकिन वास्तव में ऐसा कतई नहीं है। कार्निवाल में आयोजित की जाने वाली गतिविधियां स्थानीय लोगों और देसी व विदेशी सैलानियों को न केवल रोमांचित करती हैं, बल्कि हर कोई इनमें भाग लेकर इनका भरपूर आनंद उठाता है और प्रकृति की गोद में अपने को धन्य समझता है।