कोच्चि : संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर कई गैर भाजपा शासित राज्यों के विरोध के बीच केंद्र ने सोमवार को कहा कि राज्यों को कानून लागू करना होगा क्योंकि संसद ने इसे मंजूरी दी है।
संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सीएए पर केंद्र के साथ भाजपा के दृष्टिकोण से अवगत कराने के लिए बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में कहा, ”संविधान के तहत राज्यों को इसे (सीएए) लागू करना होगा।” मंत्री ने यह भी कहा कि राज्यों को राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) को भी लागू करना होगा, जो कि जनगणना का हिस्सा है। उनके बयान के एक दिन पहले केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन द्वारा विभिन्न राजनतिक दलों और सामाजिक धार्मिक संगठनों की बैठक में विवादास्पद कानून के खिलाफ संयुक्त प्रदर्शन करने का फैसला किया गया था।
केरल और पश्चिम बंगाल सहित कुछ गैर भाजपा शासित राज्य सरकारों के कानून को लागू नहीं करने के फैसले से जुड़े सवालों पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, ”अगर कोई सरकार कहती है कि वह इसे लागू नहीं करेगी तो यह संविधान के अनुसार नहीं है, चाहे वह पश्चिम बंगाल, केरल, राजस्थान या मध्यप्रदेश की सरकार हो।” उन्होंने कहा कि यह संसद द्वारा पारित कानून है और राज्यों को इसे अपनाना होगा। उन्होंने कहा, ”यह राष्ट्र हित में है। ”
राज्य विधानसभा का विशेष सत्र मंगलवार को आयोजित होगा जिसमें सीएए को लेकर राज्य की चिंता व्यक्त करने के लिए प्रस्ताव पर विचार होने की संभावना है। इस सत्र के मद्देनजर भी मेघवाल का बयान महत्व रखता है। मेघवाल ने कहा कि सीएए को पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश समेत पड़ोसी देशों में धार्मिक अत्याचार का शिकार अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए लागू किया गया है और भारत के मुसलमान नागरिकों को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
सीएए के खिलाफ एक जनवरी को कोच्चि में मुस्लिम संगठनों की बड़ी रैली के बारे में ध्यान दिलाने पर मंत्री ने कहा, ”मैं ना केवल केरल बल्कि समूचे देश के मुस्लिम समुदाय से कहना चाहता हूं कि चिंता करने की कोई बात नहीं है।” उन्होंने कांग्रेस पर सीएए को लेकर भ्रांतियां फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह देश हित में नहीं है।
मंत्री ने एनपीआर के मामले पर कांग्रेस नेता पी चिदंबरम पर निशाना साधते हुए कहा कि इसे गृह मंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल में शुरू किया गया था। उन्होंने कहा, ”चिदंबरम एनपीआर के समर्थन में संसद में 30 मिनट से अधिक समय तक बोले थे। तब यह सही था। अब यह सही नहीं है। ऐसा कैसे हो सकता है?”