रविंद्र चंदेल/राजीव शर्मा। हमीरपुर/ बिझड़।
प्रदेश के बड़े मंदिरों में शुमार बाबा बालकनाथ मंदिर ट्रस्ट के कुप्रबंधन व नाकाम कारगुजारी ने अब मिनी संसद के चुनाव में लोकतंत्र पर खतरा खड़ा किया है। ट्रस्ट और सरकार की घोर उदासीनता से खफा जिला हमीरपुर के बड़सर सब-डिवीजन की ग्राम पंचायत चकमोह के वासियों ने चुनाव के बहिष्कार का एलान किया है। इतना ही नहीं सरकार द्वारा झूठी घोषणाओं से गुस्साए चकमोह के युवाओं ने भविष्य में हर चुनाव के बहिष्कार का भी एलान किया है।
इस ग्राम पंचायत में 34 लोग उम्मीदवार बने थे जिनमें से 8 प्रधान पद के लिए व 11 उप-प्रधान पद के लिए जबकि 7 वार्डों में 15 पंच पदों पर उम्मीदवार थे। स्थानीय युवा सोमदत सोमी के नेतृत्व में चकमोह ग्राम पंचायत के नागरिकों व युवाओं में बनी सहमति के कारण यह बड़ा फैसला लिया गया है। चकमोह ग्राम पंचायत की जनता ने 12 कनाल से ज्यादा भूमि ट्रस्ट को 100 बेड का अस्पताल बनाने के लिए दान की थी, जिसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री शांता कुमार ने किया था। ट्रस्ट ने यहां अस्पताल को लेकर करोड़ों फूंक कर अस्पताल का एक भवन भी बनाया लेकिन तब से लेकर अब तक यह भवन बिना किसी प्रयोग के खड़ा-खड़ा खंडहर हो गया। श्रद्धा से अर्जित करोड़ों की आमदन भी ट्रस्ट व सरकार की घोर लापरवाही के कारण स्वाह हो गई।
इस बीच कई सरकारें आई और गईं। हर चुनाव में अस्पताल बनाने का वादा दोहराया गया लेकिन हर वादे ने हर बार चकमोह वासियों को ठगा। अब सरकार के वादों की ठगी से आक्रोशित चकमोह गांव की युवा शक्ति व महिला शक्ति को मजबूरन चुनाव के बहिष्कार का एलान करना पड़ा है। यह पहला मामला नहीं है, जिसमें मंदिर के चढ़ावे के पैसे के दुरुपयोग के कारण
ट्रस्ट पर आरोप लगा हो। बिना किसी मकसद व मतलब के ट्रस्ट में कई करोड़ रुपया ऐसे भवनों पर फंूका है जोकि खड़े-खड़े खंडहर हो चुके हैं। 16 जनवरी 1987 में ट्रस्ट गठन के शुरुआती दिन से ही करोड़ों के चढ़ावे वाला यह ट्रस्ट अपने कुप्रबंधन को लेकर चर्चाओं में रहा है और अब सरकार व ट्रस्ट की कारगुजारी के कारण लोकतंत्र में चुनाव के बहिष्कार का कारण बना है। दिलचस्प यह है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शांता कुमार के शिलान्यास की प्लेट तो यहां से अब उखड़ चुकी है, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की पीएचसी के उद्घाटन की प्लेट अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। लगातार चकमोह वासियों की अस्पताल की मांग को नजरअंदाज करने के बाद यहां सरकार द्वारा पीएचसी चलाने का वादा भी किया गया।
इस पीएचसी का उद्घाटन 24 अप्रैल 2011 को तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल द्वारा किया गया, लेकिन पीएचसी के नाम सिर्फ उद्घाटन की प्लेट से ही चकमोह वासियों को संतोष करना पड़ा। सरकार के जनमंच में भी यह मुद्दा चकमोह निवासियों ने उठाया तब सरकार ने एक महीने के भीतर इस समस्या को हल करने का आश्वासन दिया लेकिन आश्वासन भी कोरा आश्वासन ही साबित हुआ जिस कारण से अब भविष्य में हर चुनाव के बहिष्कार का एलान हुआ। 1984 में मंदिर की देख-रेख में लगे महंतों के नाम चकमोह निवासियों ने इस बेशकीमती जमीन को दान किया था। 1987 में ट्रस्ट गठन के बाद यह भूमि ट्रस्ट के नाम ट्रांस्फर की गई जिस पर करोड़ों की लागत से अस्पताल का भवन बनाया गया।
बावजूद इसके 100 बेड का अस्पताल नहीं बनाया गया। बाद में सरकार के नए वादे के बाद यहां पीएचसी बनाने का फैसला किया गया, जिसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री धूमल ने किया, लेकिन जब पीएचसी चलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने ट्रस्ट से भूमि की एनओसी मांगी तो ट्रस्ट ने जवाब दिया कि यह भूमि हेल्थ विभाग के नाम नहीं करवाई जा सकती है, इसे हम लीज पर दे सकते हैंं। इस पर स्वस्थ्य विभाग ने जवाब दिया की वह लीज की भूमि पर पीएचसी नहीं चलाएंगे और पीएचसी के उद्घाटन पर फूंका गया लाखों रुपया भी कुप्रबंधन का शिकार हो गया।
चुनाव के बहिष्कार के कारणों का पता लगाया जा रहा है। ऐसी स्थितियों में उप-चुनाव का प्रावधान पंचायती राज चुनावों के नियमों के अनुसार रहता है जिसके मुताबिक अब इस स्थिति को देखा जा रहा है।
-देबश्वेता बनिक, डीसी हमीरपुरचकमोह गांव की जनता व युवाओं की आपसी सहमति से भविष्य के सभी चुनावों का तब तक बहिष्कार जारी रहेगा जब तक अपने वादे के अनुसार सरकार यहां100 बेड का अस्पताल बनाकर नहीं देती।
-सोमदत सोमी, ट्रस्टी बीबीएन