उदयबीर पठानिया: तीन दिन बनाम मिशन 2022
तीन दिन की भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक शुक्रवार को धर्मशाला में खत्म हो गई। शुक्र भगवान की एक आंख की तरह भाजपा ने इस बैठक में सपना भी एक ही देखा। यह था साल 2022 में फिर सत्ता वापसी का। अपने खांटी नेता अमित शाह के सियासी ब्रह्म वाक यानि अब अगले 15-20 साल भाजपा की ही सरकार हिमाचल में बनी रहे को सच करने के लिए हिमाचल भाजपा ने खूब ताकत झोंकी। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी इसमें शिरकत करने के लिए पहुंचे। प्रदेश में सत्ता की धमक के बावजूद भाजपा इस बैठक में अपना वजूद मोदी-शाह-नड्डा के ट्रिपल रोल में अपना वजूद ढूंढती हर पल नजर आई।
पर क्या भाजपा सच में इस पड़ताल में साल 2022 से 2027 तक के लिए कोई रोड मैप बना पाई ? यही सवाल बैठक के बाद उठता नजर आया। बैठक निचले हिमाचल और सूबे के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में हुई है तो जड़ें भी इसी जिले में या तो गहराई में उतरेंगी, या फिर उखड़ेंगी। दरअसल, भाजपा के पास अब हिमाचल में चार नगर निगमों के चुनाव चुनौती बन कर खड़े हो चुके हैं। महाचुनौती के नाम पर फतेहपुर का उपचुनाव मुंह बाए अचानक खड़ा हो गया है। ऐसे में भाजपा के सामने अगले छह महीने के भीतर अग्नि परीक्षाओं की लाइन लग गई है। पर सबसे बड़ा मसला है फतेहपुर का उपचुनाव।
यह उस जिले कांगड़ा में होने जा रहा है जो हर आम विधानसभा चुनाव में हर पार्टी का सत्ता की तरफ रास्ता भी बनता है और दरवाजा बंद भी करता है। उलझन यह है कि जीत हुई तो तब तो कोई समस्या नहीं होगी, पर अगर कांग्रेस झटका दे गई तो सियासत में मटकने की जगह इसके बियाबान में भटकने की नौबत आ सकती है। खैर, मसला प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक का था तो मुद्दे भी स्टेट लेवल के डिसकस हुए। रीढ़ की हड्डी के मनकों यानि कार्यकर्ताओं को रिचार्ज करने के लिए नारा दिया गया, ग्रामसभा से विधानसभा। पंचायतीराज चुनावों में आंकड़ों का मायाजाल लेकर भाजपा के तमाम नेता बैठक में पहुंचे।
शायद हाईकमान इन आंकड़ों के निर्माण में आईं मजबूरियों से वाकिफ था। यही वजह रही कि जेपी नड्डा भी यह कह गए कि इसे भगवान जगन्नाथपुरी का रथ न समझो कि इसको साल 2022 में उंगली लगा कर खींच लिया जाएगा। ताकत लगानी होगी। गौरतलब है कि जिन नड्डा के सामने भाजपाई जिला परिषद में कब्जों का जिक्र करके अपनी पीठ खुद ही ठोंक रहे थे, उन्हीं नड्डा के घर बिलासपुर में इन्हीं भगवा सिपाहियों ने 21 साल की युवती के दम पर जिला परिषद को कब्जे के लेकर अपनी लाज पर पर्दा डाला था। खैर, लब्बोलुआब यही था कि 2022 में सरकार रिपीट किए बिना चैन की सांस नहीं लेनी है।
सीएम जयराम ठाकुर ने साफ कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी की आपदा में अवसर के मूल मंत्र को हर स्तर पर लागू करना पहली प्राथमिकता रहेगी। सीएम ने यह भी दो टूक कह दिया है कि पॉलिटिकल माहौल को बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया को हथियार बनाने की बात रखते हुए कहा कि विचार को फैलाने के लिए यह जरिया अपनाना होगा। कोविड काल मे वर्चुअल संवाद के आदी हो चुके भाजपाई नेताओं ने एक्चुअल फेस टू फेस संवाद को ज्यादा तरजीह न देते हुए यही समझाने का बीड़ा उठाया कि अब सब ई-दुनिया है तो सब कुछ उसी तरह से मैनेज करना होगा। बैठक में आला नेताओं का रुझान अपने मन की बात सुनाने में ही रहा। कार्यकर्ताओं के मन में क्या है ? क्या चल रहा है ? इससे कोई सरोकार नजर नहीं आया।