अंकिता। शिमला
प्रदेश में ब्लैक फंगस का पहला मामला आईजीएमसी में सामने आया है। जानकारी के अनुसार मरीज महिला हमीरपुर के खागर क्षेत्र की रहने वाली है, जिसे नेरचौक मेडिकल कॉलेज से रेफर किया गया था, जिसके नाक के नीचे ब्लैक फंगस है।
यह जानकारी आईजीएमसी एमएस डॉक्टर जनकराज ने दी। उन्होंने बताया कि महिला को शुगर और बीपी की भी दिक्कत है। इसके साथ ही 4 मई को मरीज महिला कोरोना पॉजिटिव आई थी, जिसे सांस लेने में दिक्कत के चलते हमीरपुर से नेरचौक रेफर किया गया था। ब्लैक फंगस का मामला देखने के बाद इसे आईजीएमसी रेफर किया गया है। इसका आईजीएमसी में अब उपचार किया जा रहा है।
गौर रहे कि महिला को आईजीएमसी में कोविड वार्ड में दाखिल किया गया था। लक्षण दिखने पर चिकित्सकों ने इसके सैंपल लिए थे, जिसकी रिपोर्ट चेक करने के लिए भेजी गई थी। वही ब्लैक फंगस की यह रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। आईजीएमसी प्रशासन भी ब्लैक फंगस को लेकर सतर्क हो गया है।
अस्पताल प्रशासन ने 4 डॉक्टर की कमेटी भी इसके लिए बना दी है। जानकारी अनुसार एहतियात के तौर पर प्रशासन ने पहले ही तैयारी करनी शुरू कर दी थी। आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जनक राज ने बताया कि आईजीएमसी प्रशासन ने ब्लैक फंगस को ध्यान में रखते हुए 4 डॉक्टर जिसमें आंख, ईएनटी, डेंटल और माइकोलॉजी विभाग के डॉक्टर की कमेटी बनाई है, जिससे कि ब्लैक फंगस के मरीज आने पर उनका समय पर इलाज किया जा सके। गौर रहे कि कई राज्य में कोरोना के बाद ब्लैक फंगस के मामले सामने आने लगे है। प्रदेश में भी इसका एक मामला आ चुका है।
यह है लक्षण
ब्लैक फंगस पोस्ट कोविड बीमारी है, यानि कोरोना होने के बाद यह मरीज़ को जकड़ लेती है। इसमें 4 से 6 सप्ताह बाद नाक के नीचे या आंख के नीचे काले निशान पड़ने लगते है। वहीं, अगर ये बीमारी बढ़ जाए तो छाती में भी चली जाती है और थूक के साथ खून आने लगता है।
इसके साथ ही अनियंत्रित मधुमेह वाले लोगों, स्टेरॉयड के इस्तेमाल से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाने तथा लंबे समय तक वेंटिलेटर में रहने से इस फंगस का संक्रमण होता है। चिकित्सकों ने अब लोगों से ज्यादा एहतियात बरतने की अपील की है।