शिमला:
इस साल होने वाले पंचायती राज चुनाव पर असमंजस गहरा रहा है। राज्य निर्वाचन आयोग सितंबर में पंचायती राज चुनाव चाहता है, जबकि राज्य सरकार दिसंबर को चुनाव के लिए उपयुक्त मान रही है। हालांकि दोनों ओर से अभी आधिकारिक तौर पर एक दूसरे को सूचना नहीं दी गई है।
लेकिन आयोग में जिस तरह से तैयारी चल रही है, वह सितंबर के चुनाव शेड्यूल के अनुसार है। राज्य में 3226 पंचायतें हैं। इनमें चुने हुए प्रतिनिधियों का कार्यकाल 22 जनवरी 2021 तक है। ऐसे में इनके कार्यकाल को पहले चुनाव करवाकर कम नहीं किया जा सकता। संविधान में पंचायती राज संस्थानों को ये प्रोटेक्शन प्राप्त है। जबकि विधानसभाओं को ये सुरक्षा नहीं है। विधानसभा को प्रस्ताव पारित कर भंग किया जा सकता है, लेकिन पंचायत को नहीं। ऐसे में अब राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग दोनों को एक दूसरे से चुनाव शेड्यूल से संबंधित पत्र का इंतजार है।
पंचायती राज विभाग के अधिकारी कहते हैं कि परंपरा अनुसार राज्य निर्वाचन आयोग को सरकार से पहले इस पर राय लेनी चाहिए कि उपयुक्त समय क्या होना चाहिए चुनाव का? इसके बाद ही आगे का शेड्यूल बनना चाहिए। पंचायती राज चुनाव के लिए राज्य में करीब एक महीने तक चुनाव आचार संहिता लागू रहेगी। इसमें राज्य सरकार के सामान्य कामकाज पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि नए फैसले और राहत की घोषणाएं इस दौरान नहीं की जा सकतीं। अब देखना ये है कि राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव के शेड्यूल पर क्या फैसला लेना है? इस चुनाव के लिए मतदाता सूची भी अलग होती है और इसे भी अभी अपडेट होना है।
345 प्रस्ताव नई पंचायतों के आए हैं
नए चुनाव से पहले वर्तमान पंचायतों से आए पुनर्गठन प्रस्तावों पर भी सरकार फैसला लेगी। वर्तमान में 345 पंचायतों से ऐसे प्रस्ताव आए हैं। इन पर अब पंचायती राज विभाग गौर करेगा और फिर फाइनल लिस्ट फैसले के लिए कैबिनेट के सामने रखी जाएगी। इससे राज्य में पंचायतों की संख्या और बढऩे का अनुमान भी है।