अंकिता पंडित। शिमला :
राजधानी के आईजीएमसी सहित प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों के अस्पतालों में अब 176 अतिरिक्त दवाएं मरीजों को निशुल्क मिलेंगी। इन दवाओं में लाइफ सेविंग ड्रग्स के अलावा अन्य गंभीर रोगों में काम आने वाली दवाएं शामिल हैं। ये फैसला अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य आरडी धीमान की अध्यक्षता में हाल ही में हुई बैठक में लिया गया है।
मेडिकल कालेज लंबे समय से सरकार के सामने ये बात उठा रहे थे कि जो निशुल्क दवाओं की सूची सीएचपी और फील्ड अस्पतालों के लिए बनाई गई है, उनमें से अधिकांश दवाएं मेडिकल कालेजों में काम नहीं आ रही हैं, क्योंकि यहां जरूरत अलग तरह की है। इसके बाद ये तय हुआ है कि मेडिकल कालेजों की जरूरत के अनुसार बनी उस सूची को भी निशुल्क दवाओं में शामिल कर दिया जाए। राज्य सरकार नेशनल हेल्थ मिशन के तहत निशुल्क दवा नीति लागू की हुई है। इसी के तहत हेल्थ सब सेंटर से लेकर जोनल अस्पताल तक दवाओं की सूची तय है। वर्तमान में इसी सूची में मेडिकल कालेज भी हैं।
लेकिन अब मेडिकल कालेजों के लिए 176 दवाएं अलग से आएंगी। इनके लिए टेंडर भी निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं के बजाय निदेशक मेडिकल एजूकेशन यानी डीएमई करेंगे। इस फैसले से आईजीएमसी आने वाले मरीजों को सबसे ज्यादा राहत मिलेगी। क्योंकि ये प्रदेश का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संस्थान है। यहां रोजाना 4000 के करीब ओपीडी है। हर जिला से लोग अपना इलाज करवाने पहुंचते हैं।
लोगों को गंभीर बीमारियों में अपना इलाज करवाने के लिए काफी ज्यादा खर्च करना पड़ता था। अब अस्पताल में गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए और अधिक दवाइयां मुफ्त होने से काफी राहत मिलेगी। सरकार की ओर से आवश्यक दवा सूची में संशोधन किया जा रहा है। अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में डीएमई, डीएचएस, एमडी एनएचएम, मेडिकल कालेजों के एमएस और दवा खरीद कमेटी के सदस्य मौजूद थे।
कैशलेस इलाज की दिशा में ये कदम
अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य आरडी धीमान का कहना है कि राज्य सरकार न केवल आयुष्मान और हिमकेयर जैसी हेल्थ बीमा स्कीमों से कमजोर वर्गों को सुरक्षा दे रही है, बल्कि निशुल्क दवा नीति का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है। ये अस्पतालों में कैशलेस इलाज देने की दिशा में एक कदम है। सरकार ये सुनिश्चित करना चाहती है कि कोई भी मरीज पैसे की कमी की वजह से इलाज से वंचित न रहे।