हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : विधानसभा और संसद में एससी/एसटी आरक्षण को आगामी 10 साल के लिए बढ़ाने के विधेयक पर बुलाए गए विशेष सत्र में सत्तापक्ष और विपक्ष में खूब बहस हुई। बहस का विषय था राज्यपाल का अभिभाषण। यह अभिभषण केवल सवा पेज का था, जिसमें केवल यह बताया गया था कि यह विधेयक विधानसभा के अनुसमर्थन के लिए क्यों लाया गया है? राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय सुबह 11 बजे विधानसभा पहुंचे और पांच मिनट में ये सवा पेज पढ़कर चले गए।
इस पर विपक्ष ने आपत्ति जताई कि नए साल के पहले सत्र को संबोधित करना राज्यपाल के लिए संवैधानिक बाध्यता है। तो सरकार अपना पूरा अभिभाषण ही करवा लेती। चर्चा चाहे बाद में बजट सत्र में होती। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्रिहोत्री ने यह मसला उठाते हुए कहा कि सरकार स्थापित परंपराएं तोड़ रही है। या तो इनके अफसर अभिभाषण तैयार नहीं कर पाए। यदि ऐसा नहीं करता था तो सरकार दिसंबर में ही यह सत्र बुला लेती, ताकि अभिभाषण से बच जाते। कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने भी कहा कि पंजाब पूरा अभिभाषण करवा रहा है।
हरियाणा में भी तैयारी चल रही है। लेकिन यहां सरकार इस अवसर को चूक गई। इससे पहले कांग्रेस विधायक रामलाल ठाकुर ने भी सरकार की मंशा पर सवाल यह कहते हुए उठाए कि राज्यपाल में अपने भाषण में कहा चर्चा करो और सरकार के मंत्री कर रहे हैं चर्चा की जरूरत नहीं। जवाब में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि आरक्षण को आगे बढ़ाने का यह बिल लोकसभा से 10 दिसंबर, 2019 और राज्यसभा से 12 दिसंबर, 2019 को पारित हुआ।
लेकिन इसकी अधिसूचना 14 दिसंबर के बाद हुई और हमारा शीतकालीन सत्र धर्मशाला में 14 दिसंबर को खत्म हो गया। इसलिए अब यह सत्र करना पड़ा। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का पूरा अभिभाषण बजट सत्र के पहले दिन आएगा और इस पर पूरी चर्चा भी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि चूंकि इस बार चर्चा संभव नहीं थी, इसलिए इसे अभी नहीं लाया गया।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बोले बजट सत्र के शुरू में होगा अभिभाषण
बिंदल ने कहा, कोई परंपरा नहीं टूटी
विपक्ष के आरोपों पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने व्यवस्था दी कि संविधान के अनुच्छेद 1740 175 और 176 में यह प्रावधान है कि राज्यपाल बजट सत्र से पहले भी विशेष सत्र को इस तरह संबोधित कर सकते हैं और बजट के दौरान अभिभाषण अलग हो सकता है।
अब तो किसी दलित को मंत्री बना दो
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्रिहोत्री ने इस विधेयक के बहाने सरकार पर तंज कस दिया। चर्चा के समय उन्होंने कहा कि सरकार के पास अभी 13 विधायक दलित वर्ग से हैं, लेकिन मंत्री सिर्फ एक। उन्होंने सीएम से आग्रह किया कि मंत्रिमंडल विस्तार में किसी दलित को अब मंत्री बना दो।